पीएम मोदी का 2 दिवसीय मिस्र दौरा कल से शुरू, अल हकीम मस्जिद जाएंगे पीएम मोदी

पीएम मोदी 24 से 25 जून तक मिस्र की राजकीय यात्रा पर जाएंगे। जहां वो दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत बनाने और कारोबार सहित आर्थिक सहयोग के नए क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा करेंगे। रोचक बात ये है कि पीएम मोदी मिस्र के दौरे के दौरान 11वीं सदी के बने ओल्ड काइरो में स्थित ऐतिहासिक अल हकीम मस्जिद का भी दौरा करने वाले हैं। जहां वो लगभग आधा घंटा वक्त बिताएंगे।

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PM Narendra Modi Egypt Visit: पीएम मोदी 24 से 25 जून तक मिस्र की राजकीय यात्रा पर जाएंगे। जहां वो दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत बनाने और कारोबार सहित आर्थिक सहयोग के नए क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा करेंगे। रोचक बात ये है कि पीएम मोदी मिस्र के दौरे के दौरान 11वीं सदी के बने ओल्ड काइरो में स्थित ऐतिहासिक अल हकीम मस्जिद का भी दौरा करने वाले हैं। जहां वो लगभग आधा घंटा वक्त बिताएंगे। 

'इंडिया यूनिट' से करेंगे मुलाकात, भारतीय सैनिकों को देंगे श्रद्धांजलि

पीएम मोदी इस यात्रा के दौरान राष्ट्रपति अल-सिसी की तरफ से गठित 'इंडिया यूनिट' से मुलाकात करेंगे। जिसका गठन मिस्र के राष्ट्रपति ने भारत यात्रा से लौटने के बाद मार्च में किया था। इस यूनिट में कई उच्च स्तरीय मंत्री शामिल हैं। अल-सिसी 26 जनवरी, 2023 को भारतीय गणतंत्र दिवस पर राजकीय मेहमान थे। पीएम मोदी और अल-सिसी के बीच द्विपक्षीय वार्ता 25 जून को होगी। इस दौरान दोनों देशों के बीच कई मुद्दों पर करार होने की उम्मीद जताई जा रही है। भारत और मिस्र के बीच रक्षा और सामरिक संबंध पिछले कुछ वर्षों में प्रगाढ़ हुए हैं। दोनों देशों की सेनाओं ने इस साल जनवरी में पहला संयुक्त अभ्यास किया था। अपने मिस्र दौरे पर प्रधानमंत्री मोदी काहिरा में हेलियोपोलिस कॉमनवेल्थ वॉर ग्रेव कब्रिस्तान भी जाएंगे, जो प्रथम विश्व युद्ध के दौरान मारे गए भारतीय सेना के लगभग 4,000 सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। 

द्विपक्षीय व्यापार को मजबूत करने पर जोर

1997 के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली मिस्त्र यात्रा होगी। जबकि सिर्फ पिछले सात वर्षों में मिस्त्र के राष्ट्रपति अब्दुल फतह अल-सिसी तीन बार भारत की यात्रा पर आ चुके हैं। पीएम मोदी की यह यात्रा कई मायने में काफी अहम होगी और इस बात का सबूत होगा कि दोनों देशों ने बदलते वैश्विक परिवेश में एक-दूसरे की अहमियत की पहचान कर आगे बढ़ रहे है।दोनो देशों ने हाल ही में एक दूसरे को रणनीतिक साझेदार घोषित किया है। इसके बाद दोनो देशों के शीर्ष नेताओं की यह पहली बैठक होगी जिसमें रक्षा और कारोबार से जुड़े संबंधों को मजबूत बनाने को लेकर खास तौर पर चर्चा होगी।

ऐतिहासिक अल हाकिम मस्जिद का इतिहास

1,000 साल पुरानी अल-हकीम मस्जिद जिसे हाल में दाऊदी वोहरा समुदाय के लोगों ने नये सिरे से बनाया है। अल-हकीम मस्जिद का निर्माण 990 ईस्वी में शुरू किया गया था। तब खलिफाओं का दौर था। अल-हकीम के पिता अल-अज़ीज़ बी-इलाह निज़ार ने मस्जिद निर्माण की इजाजत दी थी। निर्माण पूरा होने से पहले ही उनकी मौत हो गई। 

अल-हकीम फातिमिद खलिफाओं में एक थे। वह तीसरे खलीफा थे। उन्होंने अपने पिता की मृत्यु के बाद मस्जिद निर्माण का काम 1013 ईस्वी में पूरा किया। हालांकि, बाद में भी मस्जिद के डिजाइन में बदलाव किए गए और पूरी तौर पर इस मस्जिद का विकास 1078 ईस्वी में हुआ। अल-हकीम मस्जिद मिस्र की चौथी सबसे बड़ी मस्जिद है। मस्जिद इब्न-तुलुन के बाद यह दूसरी सबसे बड़ी मस्जिद कही जाती है। 

120x113 मीटर में फैले इस मस्जिद में चार आर्केड्स के साथ बड़ा सा आंगन है और दो मीनारें हैं। मिस्र का ये ऐतिहासिक अल-हकीम मस्जिद 1,000 सालों में कई उतर चढ़ाव देखे हैं। इस दौरान ये कई बार प्राकृतिक आपदाओं का सामना किया है, जिससे इसे काफी नुकसान पहुंचा। समय समय पर कई सुल्तानों ने इसकी रख रखाव और साजो सज्जा का काम किया। इस मस्जिद को 'खलीफा' के समय का मस्जिद भी कहा जाता है। First Updated : Saturday, 24 June 2023