India-China Border: सूत्रों के अनुसार पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों की सेनाओं के बीच गतिरोध को समाप्त करने के लिए भारत और चीन के बीच समझौते के कुछ दिनों बाद , वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. क्षेत्र में दोनों ओर से एक-एक तंबू तथा कुछ अस्थायी संरचनाओं को हटा दिया गया है. इसके साथ ही भारतीय सैनिक चार्डिंग नाला के पश्चिमी किनारे की ओर वापस लौट रहे हैं, जबकि चीनी सैनिक नाला के पूर्वी किनारे की ओर पीछे हट रहे हैं.
बता दें कि भारत और चीन के बीच यह पीछे हटना एक सकारात्मक कदम है, जो दोनों देशों के संबंधों को सुधारने में मदद कर सकता है. इस कदम से न केवल सैनिकों की संख्या कम होगी, बल्कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता भी बढ़ेगी.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत और चीन ने डेमचोक और देपसांग में एक-दूसरे के गश्त के अधिकार बहाल करने पर सहमति जताई है. इसका मतलब यह है कि भारतीय सैनिक अब देपसांग में गश्त बिंदु 10 से 13 तक और डेमचोक के चारडिंग नाला में गश्त कर सकते हैं. इससे पहले, इन क्षेत्रों में दोनों पक्षों के लगभग 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात थे.
गश्त और झड़पों की स्थिति
समझौते के तहत, गश्त और पशु चराने की व्यवस्था मई 2020 से पहले की स्थिति में लौटेगी. इससे पहले, गलवान घाटी, पैंगोंग त्सो के उत्तरी और दक्षिणी तट, और गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र जैसे टकराव के बिंदुओं पर झड़पें होती थी. भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि इस समझौते के बाद एलएसी पर दोनों देशों के बीच झड़पें कम हो सकती हैं.
यह समझौता प्रधानमंत्री मोदी की रूस में ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात से पहले हुआ था. इस समझौते के तहत, दोनों सेनाएं 2020 से पहले की स्थिति में लौटने का प्रयास कर रही हैं, जो कि दोनों देशों के बीच शांति और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है. First Updated : Friday, 25 October 2024