क्या हार के डर से मनीष सिसोदिया को बदलनी पड़ी अपनी सीट, जानें क्या है नई रणनीति?
दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया ने 2025 के विधानसभा चुनाव के लिए अपनी पारंपरिक पटपड़गंज सीट छोड़कर जंगपुरा सीट से मैदान में उतरने का निर्णय लिया है. यह फैसला उनके लिए एक बड़ा राजनीतिक दांव माना जा रहा है, क्योंकि जंगपुरा सीट की सियासी परिस्थितियां किसी महाभारत के चक्रव्यूह से कम नहीं हैं, जहां सिसोदिया को नए क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करनी होगी.
Delhi Politics: दिल्ली की राजनीति में मनीष सिसोदिया ने हमेशा प्रमुख भूमिका निभाई है, लेकिन आगामी 2025 के विधानसभा चुनाव उनके लिए कुछ अलग ही रणनीति और तैयारी की मांग कर रहे हैं. पटपड़गंज सीट पर लगातार 10 सालों तक जीत हासिल करने के बाद, इस बार उन्होंने जंगपुरा से चुनाव लड़ने का फैसला किया है. यह बदलाव न केवल उनकी चुनावी रणनीति को दर्शाता है, बल्कि उनकी राजनीतिक यात्रा में एक नई चुनौती भी पेश करता है.
पटपड़गंज छोड़, जंगपुरा की ओर
आपको बता दें कि पिछले चुनाव में पटपड़गंज सीट पर सिसोदिया ने बड़ी मुश्किल से जीत दर्ज की थी. मुख्य सड़कों की हालत सुधारने में विफलता और बढ़ते विरोध के कारण, सिसोदिया ने इस बार सुरक्षित विकल्प के तौर पर जंगपुरा को चुना है. हालांकि, जंगपुरा सीट भी उनके लिए आसान नहीं होगी. यहां कांग्रेस के फरहद सूरी और भाजपा के तरविंदर सिंह मारवाह जैसे मजबूत उम्मीदवार मैदान में उतर सकते हैं, जो इसे त्रिकोणीय मुकाबला बना देंगे.
जंगपुरा की राजनीति और संभावित विरोधी
वहीं आपको बता दें कि जंगपुरा सीट पर कांग्रेस और भाजपा दोनों का मजबूत जनाधार है. कांग्रेस के फरहद सूरी, जो पहले दिल्ली के मेयर रह चुके हैं, क्षेत्र में लोकप्रिय हैं. वहीं, भाजपा के तरविंदर सिंह मारवाह, जिन्होंने कांग्रेस से भाजपा का दामन थामा है, अपने बेटे के नगर निगम से जुड़े होने के कारण क्षेत्रीय स्तर पर मजबूत पकड़ रखते हैं. ऐसे में सिसोदिया को दोनों पक्षों से कड़ी टक्कर मिलने की संभावना है.
निजामुद्दीन दरगाह से जुड़ाव - सिसोदिया का प्लान
साथ ही आपको बता दें कि सिसोदिया का निजामुद्दीन दरगाह का दौरा करना उनकी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. क्षेत्र के मुस्लिम वोट बैंक को साधने के लिए उनका यह कदम महत्वपूर्ण हो सकता है. हाल ही में उन्होंने दरगाह से जुड़ी गतिविधियों में भी हिस्सा लिया, जो उनके राजनीतिक समीकरणों को मजबूत करने का प्रयास दिखाता है.
सिसोदिया की राह में रोड़े
आपको बता दें कि जंगपुरा सीट पर मुकाबला कठिन होने की संभावना है. फरहद सूरी की पारिवारिक विरासत और मारवाह की क्षेत्रीय सक्रियता सिसोदिया के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं. इसके अलावा, जंगपुरा के निवासियों की स्थानीय समस्याओं को समझना और उनसे जुड़ाव बनाना सिसोदिया के लिए प्राथमिकता होगी.
क्या सिसोदिया का यह फैसला होगा सही?
जंगपुरा सीट पर सिसोदिया के उतरने से यह सीट पूरी दिल्ली की राजनीति का केंद्र बन सकती है. हालांकि, मुकाबला कठिन होगा और उन्हें न केवल कांग्रेस और भाजपा से बल्कि जनता की अपेक्षाओं से भी लड़ना होगा. यह देखना दिलचस्प होगा कि सिसोदिया इस चक्रव्यूह से कैसे बाहर निकलते हैं और क्या वह अपनी छवि को एक कुशल रणनीतिकार के रूप में स्थापित कर पाते हैं.