Prayagraj Air Show: भारतीय वायु सेना (IAF) अपने 91वें स्थापना दिवस के अवसर पर 8 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के संगम क्षेत्र में एक मेगा एयर शो करने जा रही है. ग्रुप कैप्टन प्रज्योत ने मंगलवार को ऐलान किया कि इस मौके पर 10 हवाई अड्डों से राफेल लड़ाकू जेट और हेलीकॉप्टर सहित 120 लड़ाकू और परिवहन विमान हवाई प्रदर्शन में शामिल होंगे. न्यूज़ एजेंसी के मुताबिक, आखिरी बार मिग-21 इस तरह के शो में हिस्सा लेगा. प्रयागराज में होने वाले इस एयर शो में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के शामिल होने की भी संभावना है.
प्रयागराज में होगा एयर शो
एयर मार्शल आरजीके कपूर ने बताया कि 'इस साल 91वां वायुसेना दिवस प्रयागराज में मनाया जाएगा. इसके पहले यह गाजियाबाद के हिंडन में होता था, जिसमें सिर्फ दिल्ली और आसपास के लोग ही शामिल होते थे, लेकिन संगम क्षेत्र बहुत बड़ा है और शो में और भी लोग शामिल हो सकते हैं.
इसके साथ ही एयर मार्शल आरजीके कपूर ने बताया कि इस शो के लिए प्रयागराज को कई कारणों से चुना गया, जिसमें शहर में मध्य वायु कमान की मौजूदगी भी शामिल है. उन्होंने कहा कि 'देश में पहली बार किसी विमान ने 1911 में प्रयागराज के नैनी से उड़ान भरी थी. प्रयागराज भारत का केंद्र है और भारतीय समय प्रयागराज से लिया गया है.' इसके अलावा, मध्य वायु कमान का मुख्यालय प्रयागराज में है. इन्हीं कारणों से एयर शो के लिए प्रयागराज को चुना गया है.'
मिग-21 जेट आखिरी बार लेगा हिस्सा
वायुसेना दिवस के मौके पर होने वाले इस एयर शो में मिग-21 जेट का हिस्सा लेना सबसे खास बात है. वो इसलिए क्योंकि इस बार 8 अक्टूबर को होने वाले इस एयर शो में मिग-21 जेट आखिरी बार हिस्सा लेगा. भारतीय वायुसेना विमान के बाकी तीन स्क्वाड्रन को चरणबद्ध तरीके से हटाने की प्रक्रिया शुरू कर रही है.
प्रयागराज से पहली हवाई डाक सेवा
प्रयागराज न्याय, धर्म, साहित्य, शिक्षा के साथ-साथ व्यापारिक गतिविधियों का भी केन्द्र रहा है. यहां से देश-विदेश का सारा सामान हवाई डाक से भेजा जाता था. आपको ये जानकर हैरानी होगी कि पहली हवाई मेल सेवा संगम नगरी से ही शुरू की गई थी.
112 साल पहले 1911 में फ्रांसीसी पायलट हेनरी पिकेट ने हैविलैंड विमान से 6500 पत्रों के साथ प्रयागराज (तब इलाहाबाद) से नैनी तक के लिए उड़ान भरी थी. ये उड़ान 18 फरवरी 1911 को शाम 5:30 बजे भरी गई. उस वक्त प्रयागराज में कुंभ मेले का आयोजन किया गया था.
उस समय की बात करें तो ये हवाई सफर 13 मिनट में पूरा हुआ था. आपको बता दें कि आज पूरे विश्व में हवाई डाक सेवा के माध्यम से डाक भेजी जा रही है. इसमें सामान्य पत्र से लेकर स्पीड पोस्ट तक सब कुछ शामिल है.
छह आने लगता था शुल्क
पहली हवाई डाक सेवा का विशेष शुल्क छह आने रखा गया था. इससे होने वाली इनकम ऑक्सफोर्ड और कैंब्रिज हॉस्टल इलाहाबाद को दान कर दी गई. इस सेवा के लिए पहले से ही पत्रों की विशेष व्यवस्था की जाती थी. 18 फरवरी को दोपहर तक पत्रों की बुकिंग हो चुकी थी. डाक विभाग ने यहां तीन-चार कर्मचारियों की तैनाती की थी. पत्र भेजने वालों में राजा, महाराजा, राजकुमार समेत संगम नगरी की कई मशहूर हस्तियां शामिल थीं.
लंदन के लिए सीधी फ्लाइट
एक समय पर प्रयागराज एयरपोर्ट (बमरौली एयरपोर्ट) से अंतरराष्ट्रीय उड़ानें आया-जाया करती थीं. यहीं से लंदन के लिए सीधी फ्लाइट जाती थी. बमरौली हवाई अड्डा साल 1919 में बनाया गया था. 1924 तक यहां के हवाई क्षेत्र का भी विस्तार किया गया था. उस समय देश में केवल चार हवाई अड्डे थे जहां से अंतरराष्ट्रीय उड़ानें होती थीं, बमरौली हवाई अड्डा भी उनमें से एक था. First Updated : Wednesday, 04 October 2023