Parliament: मणिपुर मुद्दे पर गृह मंत्रालय द्वारा जवाब नहीं देने पर बोले राघव चड्ढा, कहा- भाजपा का असली चेहरा आया सामने
Raghav Chadha: मैंने मणिपुर हिंसा पर गृह मंत्रालय से जवाब मांगने के लिए एक प्रश्न दायर किया था. मेरे प्रश्न को इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि यह मुख्य रूप से भारत सरकार की चिंता का विषय नहीं है और यह एक ऐसे मामले पर है जो कानून की अदालत के फैसले के अधीन है.
हाइलाइट
- मणिपुर मुद्दे पर सांसद राघव चड्ढा ने गृह मंत्रालय से मांगा था जवाब
- गृह मंत्रालय ने उनके सवाल का जवाब देने से इंकार कर दिया
- सांसद राघव चड्ढा ने इस घटना के बारे में ट्विट कर दी जानकारी
Raghav Chadha: आप सांसद राघव चड्ढा ने मणिपुर हिंसा ( Manipur Violence) को लेकर सवाल उठाया था, जिसमें उन्होंने गृह मंत्रालय से जवाब मांगने के लिए एक प्रश्न दायर किया था. इसके बारे में राघव चड्ढा ने ट्वीट कर जानकारी दी. इस ट्विट में उन्होंने लिखा कि ‘मैंने मणिपुर हिंसा पर गृह मंत्रालय (Home Ministry) से जवाब मांगने के लिए एक प्रश्न दायर किया था, लेकिन मेरे प्रश्न को इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि यह मुख्य रूप से भारत सरकार की चिंता का विषय नहीं है और यह एक ऐसे मामले पर है जो अदालत के फैसले के अधीन है. इससे भाजपा का असली चेहरा उजागर हो गया है. क्या मणिपुर केंद्र सरकार की जिम्मेदारी नहीं है?
I had filed a question to solicit an answer from the Ministry of Home Affairs over Manipur Violence.
— Raghav Chadha (@raghav_chadha) July 26, 2023
My question was rejected on the ground that it is not primarily the concern of the Government of India and it on a matter which is under adjudication by a court of law.
This… pic.twitter.com/T9uAHEJHvz
राघव चड्ढा ने गृह मंत्रालय से मंगा था जबाव
मणिपुर हिंसा को लेकर राघव चड्ढा ने गृह मंत्रालय से जवाब मांगा था, जिसको लेकर उनके द्वारा एक सवाल दायर किया गया था. उनके सवाल पर गृह मंत्रालय के अधिकारियों द्वारा दी गई प्रतिक्रिया की बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने एक ट्विट किया. जिसमें उन्होंने लिखा कि गृह मंत्रालय मणिपुर मुद्दे पर अपने पैर कैसे खींच सकते हैं और अनुच्छेद 355 के तहत अपनी जिम्मेदारी से इनकार कैसे कर सकते हैं?
दिल्ली अध्यादेश पर भी सरकार को घेरा
अपने ट्विट में सरकार से सवाल करते हुए राघव चड्ढा ने कहा, यदि विचाराधीन मामलों पर चर्चा नहीं की जा सकती, तो आप दिल्ली पर अवैध अध्यादेश (Delhi Ordinance) कैसे ला सकते हैं? सरकार का यह जवाब शांति और सुरक्षा के फर्जी दावों की पोल खोलता है. उन्हें मणिपुर पर जवाब देने से कौन रोक रहा है?