राहुल गांधी ने बढ़ाई केजरीवाल की टेंशन, दिल्ली चुनाव से पहले ही बढ़ती दूरियों ने गरमाई सियासत
Delhi Politics: दिल्ली विधानसभा चुनाव के नजदीक, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच बढ़ती दूरी राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बनी हुई है. राहुल गांधी ने हाल ही में केजरीवाल पर हमला बोलते हुए उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अलग नहीं बताया. इस दरार का असर दिल्ली के आगामी चुनाव परिणामों पर पड़ सकता है.
Delhi Assembly Elections: हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच संबंधों में आई खटास राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बनी हुई है. दोनों नेताओं के बीच यह दरार दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले की एक महत्वपूर्ण घटना है. आइए जानते हैं कि इसके पीछे की राजनीति क्या है और इसका क्या असर हो सकता है.
राहुल गांधी का हमला - 'केजरीवाल और मोदी में फर्क नहीं'
आपको बता दें कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र, राहुल गांधी ने खुलकर अरविंद केजरीवाल पर हमला बोला है. उन्होंने दिल्ली के सीलमपुर में आयोजित रैली में कहा था, ''मेरे लिए पीएम नरेंद्र मोदी और अरविंद केजरीवाल में कोई अंतर नहीं हैं.'' यह बयान यह दर्शाता है कि कांग्रेस अब दिल्ली में अपने खोए हुए वोट बैंक को पुनः प्राप्त करने के लिए मैदान में उतर चुकी है, जहां उसे पिछले दो विधानसभा चुनावों में बड़ा झटका लगा था.
केजरीवाल पर कड़ी प्रतिक्रिया
वहीं आपको बता दें कि राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर भी केजरीवाल पर निशाना साधते हुए लिखा, ''ये है केजरीवाल जी की ‘चमकती' दिल्ली - पेरिस वाली दिल्ली!'' यह बयान यह संकेत करता है कि कांग्रेस, जो पहले आम आदमी पार्टी (आप) के साथ गठबंधन में थी, अब आप से खुलकर टकराव की स्थिति में है.
कांग्रेस और आप का संघर्ष
बताते चले कि दिल्ली में कांग्रेस और आप के बीच यह टकराव केवल स्थानीय राजनीति तक सीमित नहीं है. दिल्ली में जहां कांग्रेस को आप से बड़ा नुकसान हुआ है, वहीं पंजाब और गुजरात जैसे राज्यों में भी दोनों पार्टियों के बीच मतभेद देखने को मिले हैं. गुजरात में आप ने कांग्रेस के वोट बैंक को नुकसान पहुंचाया, जबकि पंजाब में दोनों पार्टियां एक-दूसरे के खिलाफ मैदान में हैं.
दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की रणनीति
आपको बता दें कि कांग्रेस के लिए दिल्ली विधानसभा चुनाव महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में उसने अपनी स्थिति काफी कमजोर पाई है. कांग्रेस का वोट प्रतिशत जहां एक समय 40 फीसदी से ज्यादा था, वहीं अब वह 5 फीसदी से भी नीचे गिर चुका है. इस स्थिति में कांग्रेस का लक्ष्य अपने खोए हुए वोट बैंक को वापस प्राप्त करना है, विशेष रूप से मुस्लिम और गरीब-गुरबा वर्ग को, जो पहले कांग्रेस के समर्थन में थे, लेकिन अब आप के पक्ष में जा चुके हैं.
इंडिया गठबंधन पर असर
इसके अलावा आपको बता दें कि दिल्ली में कांग्रेस और आप के बीच बढ़ती खींचतान ने इंडिया गठबंधन को भी दो हिस्सों में बांट दिया है. कई क्षेत्रीय दल जैसे समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और एनसीपी ने अरविंद केजरीवाल का समर्थन किया है. इस विभाजन ने कांग्रेस को सतर्क कर दिया है और वह दिल्ली में भाजपा को हराने के लिए अपनी स्थिति मजबूत करने में जुटी है.
बहरहाल, कांग्रेस का उद्देश्य दिल्ली विधानसभा चुनाव में अपना खोया हुआ जनसमर्थन फिर से हासिल करना है, जबकि आम आदमी पार्टी के खिलाफ पार्टी ने आक्रामक रणनीति अपनाई है. यदि कांग्रेस दिल्ली में मुसलमान और गरीब वर्ग के वोटरों को फिर से अपने पक्ष में करने में सफल होती है, तो यह नतीजों को आश्चर्यजनक बना सकता है.