'भारत के संविधान में कुछ भी भारतीय नहीं है', संसंद में राहुल गांधी के बयान से मची खलबली
राहुल गांधी ने संसद में संविधान और मनुस्मृति के बीच अंतर पर बयान दिया, जिसमें उन्होंने हिंदुत्व विचारक सावरकर के विचारों का हवाला दिया. उनका कहना था कि सावरकर का मानना था कि हमारे संविधान में कुछ भी भारतीय नहीं है और मनुस्मृति को ही असली कानून माना जाना चाहिए. इस बयान के बाद भाजपा सांसदों ने पलटवार किया और कांग्रेस की ऐतिहासिक आलोचना की. अब सभी की नजर प्रधानमंत्री मोदी के समापन भाषण पर है, जो इस बहस का कड़ा उत्तर दे सकते हैं. क्या ये बहस अब और तूल पकड़ेगी? जानिए पूरी खबर में!
New Delhi: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने आज संविधान लागू होने के 75 साल पूरे होने के मौके पर लोकसभा में एक जोरदार भाषण दिया, जिसमें उन्होंने भाजपा सरकार को आड़े हाथों लिया. राहुल गांधी ने संविधान और मनुस्मृति के बीच अंतर को खींचते हुए हिंदुत्व विचारक वी.डी. सावरकर के विचारों का हवाला दिया, जिससे संसद में एक नया विवाद पैदा हो गया.
संविधान की तुलना मनुस्मृति से
राहुल गांधी ने अपने भाषण में कहा, 'भारत के संविधान में कुछ भी भारतीय नहीं है.' उन्होंने हिंदुत्व विचारक सावरकर के शब्दों का हवाला देते हुए यह भी कहा कि मनुस्मृति हमारे हिंदू राष्ट्र के लिए वेदों के बाद सबसे पूजनीय ग्रंथ है, जो भारत की प्राचीन संस्कृति, रीति-रिवाज और व्यवहार का आधार बना है. सावरकर का मानना था कि संविधान के बजाय मनुस्मृति को कानून बनाना चाहिए, जो हमारे राष्ट्र की आध्यात्मिक यात्रा को संहिताबद्ध करता है. राहुल गांधी ने अपने दाहिने हाथ में संविधान और बाएं हाथ में मनुस्मृति पकड़ी थी और यह सवाल उठाया कि क्या भाजपा सरकार सावरकर के विचारों का समर्थन करती है?
"भारत के संविधान के बारे में सबसे बुरी बात तो यह है कि इसमें कुछ भी भारतीय नहीं है।"
- ये बात आपके नेता सावरकर ने कही थी, जिसकी आप पूजा करते हैं।
: लोक सभा में नेता विपक्ष श्री @RahulGandhi pic.twitter.com/0jVOI23haQ
— Congress (@INCIndia) December 14, 2024
भाजपा नेताओं का पलटवार
राहुल गांधी के इस बयान पर भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने कड़ी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने राहुल गांधी पर संविधान की सही समझ न होने का आरोप लगाते हुए कहा कि कुछ लोग संविधान को अपनी जेब में रखते हैं, लेकिन पन्नों की संख्या तक नहीं जानते. वहीं केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कांग्रेस पर ऐतिहासिक विरोधाभासों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया और कहा कि कांग्रेस ने डॉ. अंबेडकर के योगदान को सही समय पर नहीं पहचाना. उन्होंने नेहरू की आलोचना भी की, यह कहते हुए कि नेहरू का ध्यान अनुसूचित जातियों की बजाय तुष्टीकरण की राजनीति पर था.
प्रियंका गांधी का भी वार
इससे पहले, प्रियंका गांधी ने लोकसभा में अपने पहले भाषण में आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा भारत के संविधान और संघ के विधान के बीच भ्रमित कर रही है. उन्होंने कहा कि यह सरकार संविधान की रक्षा के नाम पर अपने राजनीतिक फायदे की राजनीति कर रही है.
प्रधानमंत्री मोदी का समापन भाषण
अब सभी की निगाहें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समापन भाषण पर हैं, जो दो दिवसीय इस बहस के बाद संविधान पर अपनी बात रखेंगे. उनके भाषण से यह उम्मीद जताई जा रही है कि इस संवैधानिक मुद्दे पर अंतिम दिशा स्पष्ट होगी. राहुल गांधी का यह बयान और उसके बाद का राजनीतिक विवाद संसद में एक अहम मोड़ लेकर आया है. संविधान और मनुस्मृति के बीच की इस तुलना ने न केवल भाजपा बल्कि कांग्रेस के भीतर भी राजनीतिक चर्चा को हवा दी है. इस बहस ने देशभर में संवैधानिक मूल्यों, संस्कृति और राजनीतिक विचारधारा पर सवाल उठाए हैं.