Bihar Caste Survey: बिहार में राज्य सरकार द्वारा कराए गए जातीय सर्वेक्षण की रिपोर्ट नीतीश सरकार ने जारी कर दी है. अब इसको लेकर देश में एक जंग छिड़ गई है. बिहार सरकार के इस कदम का कांग्रेस ने स्वागत किया. इसके साथ ही पार्टी ने केंद्र से सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने और सामाजिक सशक्तिकरण कार्यक्रमों के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर तुरंत इसी तरह की कवायद शुरू करने के अपील की.
वहीं, बिहार में जातीय सर्वेक्षण रिपोर्ट सामने आने के बाद कांग्रेस पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि बिहार की जातिगत जनगणना ने साफ कर दिया है कि राज्य में 84 फीसदी लोग अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) हैं और उनकी हिस्सेदारी उनकी आबादी के हिसाब से होनी चाहिए.
'केंद्र सरकार के 90 सचिवों में केवल 5 ओबीसी'
राहुल गांधी ने आगे कहा, 'केंद्र सरकार के 90 सचिवों में से केवल तीन ओबीसी समाज से हैं, जो देश के बजट का सिर्फ पांच प्रतिशत संभालते हैं. इसलिए, भारत के जातिगत आंकड़ों को जानना महत्वपूर्ण है.
जयराम रमेश ने देश में जातीय गणना की मांग की
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि, कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार ने जनगणना कराई थी लेकिन उसके परिणाम मोदी सरकार ने प्रकाशित नहीं किए. बिहार सरकार ने हाल ही में राज्य में अपने द्वारा किए गए जाति सर्वेक्षण के परिणाम जारी किए हैं. पहल का स्वागत करते हुए और कांग्रेस सरकारों द्वारा कर्नाटक जैसे अन्य राज्यों में इसी तरह के पहले के सर्वेक्षणों को याद करते हुए कांग्रेस अपनी मांग को दोहराती है कि केंद्र सरकार जल्द से जल्द राष्ट्रीय जाति जनगणना आयोजित करे.'
बिहार सरकार के जातिगत सर्वेक्षण में क्या खुलासा हुआ?
बिहार की नीतीश कुमार सरकार द्वारा जारी जातीय सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य में ओबीसी और ईबीसी की कुल आबादी का 63 फीसदी हैं. विकास आयुक्त विवेक सिंह द्वारा यहां जारी आंकड़ों के अनुसार, राज्य की कुल आबादी 13.07 करोड़ से अधिक है, जिसमें से अत्यंत पिछड़ा वर्ग (36 फीसदी) सबसे बड़ा सामाजिक वर्ग है, जिसके बाद अन्य पिछड़ा वर्ग 27.13 फीसदी है. First Updated : Monday, 02 October 2023