Rahul Gandhi Manipur Visit: लोकसभा चुनाव के बाद राहुल गांधी इन दिनों कई राज्यों के दौरे पर हैं. सोमवार को विपक्ष नेता ने असम-मणिपुर का दौरा किया. इस दौरान इन्होंने असम बाढ़ पीड़ितों के साथ ही मणिपुर हिंसा के पीड़ितों से भी मुलाकात की. लोगों से मुलाकात के बाद राहुल गांधी ने इंफाल में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मणिपुर के हालात पर चिंता जताई.
इस दौरान राहुल गांधी ने कहा कि मणिपुर में मेरा तीसरा दौरा है. मुझे लगा था कि यहां के हालात में सुधार हुआ होगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ है. ग्राउंड लेवल पर कोई इम्प्रूवमेंट नहीं है. मणिपुर को लेकर केंद्र सरकार बिल्कुल भी संवेदनशील नहीं है. मुझे नहीं लगता कि यहां के हालात सुधरेंगे. मैं सिर्फ ये कहना चाहता हूं कि नफरत और हिंसा से समाधान नहीं होने वाला है. मोहब्बत से और भाईचारे से बात बन सकती है. राज्यपाल से हमने कहा कि जो हम से जो हो सकता है, मदद करेंगे.
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा, "मुझे लगता है कि यह महत्वपूर्ण है कि प्रधानमंत्री यहां आएं, मणिपुर के लोगों की बात सुनें और मणिपुर में क्या हो रहा है, इसे समझने की कोशिश करें. आखिरकार, मणिपुर भारतीय संघ का एक गौरवशाली राज्य है. भले ही कोई त्रासदी न हुई हो, प्रधानमंत्री को मणिपुर आना चाहिए था. इस बड़ी त्रासदी में, मैं प्रधानमंत्री से अनुरोध करता हूं कि वे अपने समय में से 1-2 दिन का समय निकालें और मणिपुर के लोगों की बात सुनें. इससे मणिपुर के लोगों को राहत मिलेगी. हम, कांग्रेस पार्टी के रूप में, यहां की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए किसी भी चीज का समर्थन करने के लिए तैयार हैं."
प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद जब पत्रकारों ने सवाल पूछे तो लोकसभा में कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने कहा, "मैं जो कह रहा हूं, उसका सम्मान करें. मैं यहां एक स्पष्ट संदेश देने आया हूं, मैं ऐसे सवालों का जवाब देने में दिलचस्पी नहीं रखता जो मुद्दे को भटकाने के लिए बनाए गए हों. मैंने अपना बयान दे दिया है." उन्होंने आगे कहा, "मणिपुर भारतीय संघ के सबसे खूबसूरत राज्यों में से एक है."
विपक्ष के नेता रहाुल गांधी कई बार मणिपुर हिंसा को लेकर पीएम मोदी पर निशाना साध चुके हैं. उन्होंने ये भी मुद्दा उठाया था कि पीएम मोदी हर जगह गए हैं लेकिन मणिपुर नहीं गए. बता दें कि मणिपुर में कई महीनों से हिंसा चल रही है. जिसमें मैतई समाज को अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल करने की मांग के विरोध में राज्य के पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च आयोजित किया गया था. इतने महीनें बितने के बाद भी राज्य में हिंसा शांत नहीं हुई है.
First Updated : Monday, 08 July 2024