ED Director: ईडी के कार्यवाहक निदेशक की जिम्मेदारी संभालेंगे राहुल नवीन, संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल खत्म
ED Director: संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल बढ़ाने के लिए केंद्र की ओर सीवीसी अधिनियम में संशोधन भी किया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने बीते जुलाई के महीने में संजय कुमार मिश्रा के तीसरे विस्तार को अवैध करार दिया था. जोकि 18 नवंबर 2023 तक निर्धारित था.
Rahul Navin New ED Director: ईडी के चीफ संजय कुमार मिश्रा (Sanjay Kumar Mishra) का कार्यकाल आज यानी 15 सितंबर को समाप्त हो जाएगा. अब इनके जगह ईडी के विशेष निदेशक के रूप में कार्यरत राहुल नवीन (Rahul Navin) को ईडी के कार्यवाहक निदेशक के रूप में नियुक्त किया जाएगा.आधिकारिक आदेश में शुक्रवार को कहा गया कि आईआरएस अधिकारी राहुल नवीन प्रवर्तन निदेशालय के प्रभारी निदेशक नियुक्त किए गए हैं. संजय कुमार मिश्रा ने लगभग 4 साल 10 महीने तक ईडी निदेशक के रूप में कार्य किया.
1993 बैच के आईआरएस अधिकारी हैं राहुल नवीन
आपको बता दें कि संजय कुमार मिश्रा के बाद ईडी के कार्यवाहक निदेशक के रूप में जिम्मेदारी संभालने वाले राहुल नवीन 1993 बैच के आईआरएस अधिकारी हैं. मूलरूप से बिहार के रहने वाले राहुल नवीन विशेष निदेशक के अलावा ईडी मुख्यालय के मुख्य सतर्कता अधिकारी के रूप में भी कार्यरत हैं. नए निदेशक की औपचारिक नियुक्ति होने तक वह कार्यवाहक निदेशक की जिम्मेदारियां संभालेंगे.
2020 में खत्म होना था संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल
गौरतलब है कि संजय कुमार मिश्रा को 2018 में ईडी निदेशक के पद पर नियुक्त किया गया था. उनका कार्यकाल साल 2020 के नवंबर में खत्म होना था. लेकिन केंद्र सरकार की ओर से उन्हें तीन बार सेवा विस्तार दिया गया. केंद्र के इस कदम की विपक्ष ने आलोचना की और इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई.
केंद्र के कदम को कोर्ट ने बताया था अवैध
संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल बढ़ाने के लिए केंद्र की ओर सीवीसी अधिनियम में संशोधन भी किया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने बीते जुलाई के महीने में संजय कुमार मिश्रा के तीसरे विस्तार को अवैध करार दिया था. जोकि 18 नवंबर 2023 तक निर्धारित था.
कोर्ट ने 15 सितंबर तक के लिए दी थी अनुमति
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले कि सुनवाई करते हुए कहा था कि उन्हें 31 जुलाई तक इस पद से मुक्त किया जाए. हालांकि फिर केंद्र सरकार ने कोर्ट से उन्हें 15 अक्टूबर तक पद पर बने रहने की अनुमति देने का आग्रह किया था. जिस पर फैसला सुनाते हुए सर्वोच्च न्यायाल ने उन्हें 15 सितंबर तक पद पर बने रहने की अनुमति दी थी.