Chief Election Commissioner Bill: मंगलवार (12 दिसंबर) को राज्यसभा ने मंगलवार को मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर कानून पारित कर दिया है. जबकि विपक्ष प्रस्तावित कानून पर अपनी आपत्ति जताने के बाद कार्यवाही से बाहर चला गया.
यह विधेयक केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के जवाब के बाद पारित किया गया, जिन्होंने कहा था कि चुनाव आयोग "स्वतंत्र रूप से काम करना" जारी रखेगा और यह विधेयक सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद लाया गया था.
कांग्रेस सांसद रणदीप सुरजेवाला ने इस विधेयक को भारत के लोकतंत्र पर हमला बताते हुए कहा, "मोदी सरकार ने भारत के लोकतंत्र पर हमला किया है. भारत के लोकतंत्र और चुनावी तंत्र की स्वायत्तता, निडरता और निष्पक्षता को बुलडोजर से कुचल दिया गया है." उन्होंने आगे कहा कि मोदी सरकार भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयोग के चुनाव आयुक्तों को 'मोहरा चुनाव आयुक्त' बनाने के लिए आज राज्यसभा में एक कानून पारित कर रही है.
उन्होंने कहा, "मोदी सरकार भारत के चुनाव आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों को 'मोहरा चुनाव आयुक्त' बनाने के लिए आज राज्यसभा में एक कानून पारित कर रही है." कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि एक समय था जब EC का मतलब 'चुनावी विश्वसनीयता' होता था, आज इसका मतलब है 'चुनावी समझौता'.
क्या बोले राघव चड्ढा?
आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा ने कहा कि बिल सुप्रीम कोर्ट का अपमान करने वाला है. उन्होंने कहा, ''ये बिल नहीं है, बुलडोजर है. इसके जरिए केंद्र की बीजेपी सरकार ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता समाप्त कर दी है. ये बिल सुप्रीम कोर्ट का अपमान है. कमेटी में से सीजेआई को हटा दिया गया.''
इसके अलावा, डीएमके सांसद टी शिवा ने कहा कि विधेयक का पारित होना पूरी तरह से सरकार के पक्ष में होगा. मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) विधेयक, 2023 में विपक्षी दलों द्वारा लाए गए संशोधन नकारात्मक थे. First Updated : Tuesday, 12 December 2023