Raksha Bandhan: कैसे शुरू हुआ रक्षाबंधन? जानें इससे जुड़ीं कहानी
Raksha Bandhan: रक्षाबन्धन भारतीय धर्म संस्कृति के अनुसार यह त्योहार श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है. यह त्योहार भाई-बहन को स्नेह की डोर में बांधता है और मजबूत बनता है.
Raksha Bandhan: रक्षाबंधन के त्योहार को भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन बहन अपने भाई को रक्षा का सूत्र बांधती है और भाई उसकी रक्षा का वचन लेता है. रक्षाबन्धन भारतीय धर्म संस्कृति के अनुसार यह त्योहार श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है. यह त्योहार भाई-बहन को स्नेह की डोर में बांधता है और मजबूत बनता है. इस दिन बहन अपने भाई के मस्तक पर टीका लगाकर राखी बधती है. वैसे तो इस पर्व को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं, लेकिन आज हम आपको कुछ अहम कहानी के बारें में बातएंगे.
पौराणिक कथाओं के अनुसार प्राचीन काल में जब राजा बलि अश्वमेध यज्ञ करा रहे थे. उस समय भगवान विष्णु ने राजा बलि को छलने के लिए 52 अवतार लिया और राजा बलि से तीन पग धरती दान में मांगी. उस समय राजा बलि ने सोचा कि यह ब्राह्मण तीन पग में भला कितनी जमीन ही ले लेगा और उन्होंने यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया. देखते ही देखते 52 रुप धारण किए हुए विष्णु जी का आकार बढ़ने लगा और उन्होंने दो पग में ही सब नाप लिया.
उस समय तीसरे पग में राजा बलि ने स्वयं को ही सौंप दिया और विष्णु जी ने राजा बलि को पाताल लोक दे दिया. उस समय बलि ने भगवान विष्णु से एक वचन मांगा कि वो जब भी देखें तो सिर्फ विष्णु जी को ही देखें और विष्णु जी ने तथास्तु कहकर वचन को पूर्ण कर दिया. अपने वचन के अनुसार भगवान ने तथास्तु कह दिया और पाताल लोक में रहने लगे.
इस पर माता लक्ष्मी जी को अपने स्वामी विष्णु जी की चिंता होने लगी. उसी समय लक्ष्मी जी को देवर्षि ने एक सुझाव दिया जिसमें उन्होंने कहा कि वो बलि को अपना भाई बना लें और अपने स्वामी को वापस ले आएं. उसके बाद माता लक्ष्मी स्त्री का भेष धारण करके रोटी हुई पाताल लोक पहुंचीं.
इस पर राजा बलि ने उनके रोने का कारण पूछा उनके पूछने पर लक्ष्मी जी ने कहा कि मेरा कोई भाई नहीं, इसलिए में अत्यंत दुखी हूं. तब बलि ने कहा कि तुम मेरी धर्म बहन बन जाओ. इसके बाद लक्ष्मी जी ने राजा बलि को राखी बांधकर अपने स्वामी भगवान विष्णु को वापस मांग लिया.