अयोध्यानामा : 'राम लला हम आएंगे...मंदिर वहीं बनाएंगे'; किसने दिया था यह नारा? बड़ी रोचक है कहानी
Ayodhyanama : राम लला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे.... यह नारा आपने टीवी पर या फिर राम मंदिर से जुड़े आंदोलनों रैलियों पर जरूर सुना होगा. इसके बाद आपके दिमाग में यह बात भी आई होगी कि आखिर यह नारे किसने दिया था.
Ayodhyanama : 'राम लला हम आएंगे...मंदिर वहीं बनाएंगे'...अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की हुंकार भरते हुए यह नारा हमेशा लगाया जाता है. दशकों से सड़कों पर, रैलियों में और राम भक्तों के बीच यह नारा सुनने के लिए मिलता है. यह नारा ऊर्जा और उत्साह से इंसान को भरने साथ ही लोकप्रिय हो चुका है. नारे को सुनने के बाद आपके मन में भी आता होगा कि किसी बड़े नेता या साधु- संतों ने यह नारा दिया होगा, लेकिन ऐसा नहीं है. इस नारे की कहानी बिल्कुल अगल है. अगर आप इसके बारे में नहीं जानते हैं तो आपको हमारे इस आर्टिकल को पढ़ना चाहिए. राम लला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे.... यह नारा किसी साधु-संत या फिर किसी नेता ने नहीं दिया. यह नारा एक 22 साल के ने दिया था जो अयोध्या से करीब एक हजार किलोमीटर दूर एक कार्यक्रम में मौजूद था और भीड़ के बीच अचानक से उसने वो लाइन बोल दी, जो राम जन्म भूमि आंदोलन का प्रतीक बन गई.
1 फरवरी, 1986 को खुला ताला
1 फरवरी, 1986 को फैजाबाद के जिला जज केएम पांडेय के आदेश पर बाबरी मस्जिद-राम लला जन्म स्थान पर करीब 37 साल से लगा ताला खुल गया. तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने यह फैसला लिया था, लेकिन ताला खुलने से मुस्लिम समुदाय नाराज हो गया. नाराजगी जाहिर करने और बाबरी मस्जिद पर अपना हक कायम करने के लिए 1986 में बाबरी मस्जिद ऐक्शन कमिटी बनाई गई.
सत्यनारायण मौर्य ने दिया नारा
कोर्ट के आदेश पर ताला खुलने के बाद जन्म स्थान पर राम लला की पूजा-अर्चना भी शुरू हो गई. इस दौरान विश्व हिंदू परिषद की ओर से राम जन्म भूमि के लिए आंदोलन चलता रहा. इसी साल यानी कि साल 1986 में उज्जैन में बजरंग दल का शिविर लगा. उस शिविर में एम कॉम की पढ़ाई कर रहा एक शख्स सत्यनारायण मौर्य मौजूद था. शिविर के दौरान शाम को जब सांस्कृतिक कार्यक्रम हो रहे थे, सत्यनारायण मौर्य ने एक नारा उछाला, "राम लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे". फिर क्या था...देखते ही देखते पूरी भीड़ इस नारे का उद्घोष करने लगी. धीरे-धीरे ये नारा राम जन्म भूमि आंदोलन का प्रतीक बन गया. बाद में इस नारे पर राजनीति भी खूब हुई.
विपक्ष ने भी अपने हिसाब के किया इस्तेमाल
बीजेपी की विपक्षी पार्टियों ने इस नारे को लेकर पैरोडी भी बनाई. इस नारे में एक लाइन और जोड़ दी गई. और विपक्ष का नारा हो गया, राम लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे, तारीख नहीं बताएंगे...और ये बात सच भी थी. क्योंकि 1986 में बने इस नारे के बाद साल 1989 में पालमपुर में हुए अधिवेशन में बीजेपी ने राम मंदिर को अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल कर लिया. तब से यानी कि 1989 से 2019 के बीच लोकसभा के कुल 9 चुनाव हुए. इस सभी चुनावों में बीजेपी के पास राम मंदिर का मुद्दा रहा है. शुरुआत में 1996 में 13 दिन, फिर 1998 में 13 महीने और फिर 1999 में पूरे पांच साल के लिए बीजेपी की सरकार रही. अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री रहे, लेकिन राम मंदिर नहीं बना. 2014 में और फिर 2019 में लगातार दो बार नरेंद्र मोदी भी प्रधानमंत्री बने. उनके भी चुनावी घोषणा पत्र में राम मंदिर का मुद्दा शामिल रहा, लेकिन मंदिर नहीं बना.
जब सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर के पक्ष में सुनाया फैसला
विपक्ष बार-बार बीजेपी को ताने देता रहा कि राम लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे, तारीख नहीं बताएंगे...लेकिन तारीख भी आ गई, क्योंकि फैसला सुप्रीम कोर्ट का था. 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 5 अगस्त 2020 को मंदिर के शिलान्यास की तारीख आई और अब 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा की भी तारीख तय है. सत्यनारायण मौर्या का दिया नारा, राम लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे...सच साबित हो गया है और विपक्ष के तारीख नहीं बताएंगे वाले सवाल का जवाब भी अब पूरी दुनिया को पता है.