जन्मदिन विशेष: साधारण आदमी से 'बाबा साहेब' बनने का क्रेडिट किसे देते थे डॉ भीमराव अंबेडकर?

जन्मदिन विशेष: बाबासाहेब अम्बेडकर ने 1940 में छपी थॉट्स ऑफ पाकिस्तान नाम की किताब में अपने जीवन में रमाबाई के प्रभाव को स्वीकार किया है.

Shabnaz Khanam
Edited By: Shabnaz Khanam

जन्मदिन विशेष: कहते हैं किसी भी आदमी की सफलता के पीछे एक औरत का हाथ होता है. कहीं ना कहीं ये कहावत सही भी है. जब हम कुछ सफल लोगों को देखते हैं उनके जीवन से जुड़ी जानकारियां प्राप्त करते हैं, तो उसमें कई बार एक औरत का जिक्र होता है. ऐसी ही एक औरत बाबासाहेब अम्बेडकर के जीवन में भी थीं, जिन्होंने भीमराव अंबेडकर के बाबासाहेब बनने तक के सफर में काफी अहम किरदार रहा है. इस बात को खुद बाबासाहेब ने स्वीकार किया था. 

कौन थीं रमाबाई? 

आज रमाबाई का जिक्र करने के पीछे एक खास वजह ये है कि आज ही के उनकी पैदाईश हुई थी. रमाबाई भीमराव अंबेडकर का जन्म 7 फरवरी 1898 को एक गरीब दलित परिवार में हुआ था. महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव दाभोल में जन्मी रमाबाई अंबेडर को रमाई या माता राम के नाम से भी जाना जाता है. बाबा साहब अम्बेडकर का जीवन रमाबाई से बहुत प्रभावित था. उन्होंने बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर को विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त करने में बहुत मदद की. उन्होंने सामाजिक न्याय और सुधार के उनके प्रयासों का भी समर्थन किया. 

15 साल की उम्र में शादी 

रमाबाई का महज 37 साल की उम्र में निधन हो गया. रमाबाई की शादी 1906 में डॉ. अम्बेडर से हुई थी. उस दौरान रमाबाई की उम्र 18 साल थी. खास बात यह है कि रमाबाई डॉ. अंबेडर से तीन साल बड़ी थीं. जब रमाबाई की शादी बाबा साहब नामक डॉक्टर से हुई तब वह सिर्फ 15 साल के थे. रमाबाई ही थीं जो बाबा साहब को साहब कहती थीं. रमाबाई और बाबासाहेब के जीवन में बहुत सी परेशानिया रहीं. उनका एक हंसता खेलता परिवार था, जिसमें उनके पांच बच्चे थे. इनके बेटे यशवंत को छोड़कर बाकी चार बच्चों का बचपन में ही निधन हो गया था. 

हर मोड़ पर खड़ी रहीं बाबा साहेब के साथ 

रमाबाई ने हमेशा डॉ. अम्बेडकर का समर्थन किया और उन्हें उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने और उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया. शादी के बाद 26 मई 1935 को लंबी बीमारी के कारण रमाबाई अंबेडकर की मृत्यु हो गई. रमाबाई का डॉ. अम्बेडकर से वैवाहिक जीवन 29 सालों तक चला. बाबासाहेब अम्बेडकर ने 1940 में प्रकाशित अपनी पुस्तक "थॉट्स ऑफ पाकिस्तान" में अपने जीवन पर रमाबाई के प्रभाव को स्वीकार किया. उन्होंने अपनी पुस्तक 'थॉट्स ऑन पाकिस्तान' अपनी प्रिय पत्नी रमाबाई को समर्पित की. उन्होंने अपनी किताब में लिखा है कि साधारण भीम को डॉ. अंबेडकर में बदलने का श्रेय रमाबाई को जाता है. 

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07 February 2024, 06:59 AM IST

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