क्या ऐड की तरह है भ्रामक है माफीनामा? बाबा राम देव को SC की फटकार
Patanjali Misleading Ad Case: पतंजलि विज्ञापन केस में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो चुकी है. इस दौरान.जस्टिस कोहली ने सुनवाई से पहले माफीनाम जारी करने को लेकर रामदेव से पुछा कि "क्या माफ़ी का आकार आपके विज्ञापनों के समान है?"
Patanjali Misleading Ad Case: पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले में आज फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो चुकी है. कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद, रामदेव और बालकृष्ण के खिलाफ अवमानना मामले की सुनवाई 30 अप्रैल को तय की है. पतंजलि के एमडी आचार्य बालकृष्ण और बाब रामदेव आज व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित हुए थे.
सुनवाई के दौरान बाबा रामदेव से जस्टिस हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने पूछा कि सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से ठीक पहले एक हफ्ते बाद माफी क्यों दाखिल की गई.जस्टिस कोहली ने कहा. "क्या माफ़ी का आकार आपके विज्ञापनों के समान है?"
सुप्रीम कोर्ट आज 23 अप्रैल को पतंजलि आयुर्वेद भ्रामक विज्ञापन मामले में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ अवमानना मामले की सुनवाई कर रहा है. योग गुरु रामदेव के सह-स्वामित्व वाली पतंजलि आयुर्वेद, बीमारियों या बीमारियों को ठीक करने का दावा करने वाले औषधीय उत्पादों के विज्ञापन और ब्रांडिंग के लिए रडार पर है.
रामदेव बाबा के माफीनामा को कोर्ट ने किया अस्विकार
सुप्रीम कोर्ट पहुंचने के पहले आज बाबा रामदेव ने पतंजली आयुर्वेदी की तरफ से माफीनामा जारी किया है. इसमें कहा गया है कि पतंजलि आयुर्वेद माननीय सुप्रीम कोर्ट की गरिमा का पूरा सम्मान करता है. साथ ही उन्होंने विज्ञापन प्रकाशित करने और प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करने की गलती के लिए ईमानदारी से माफी मांगा. हालांकि कोर्ट ने आज सुनवाई के दौरान इस माफीनामा को अस्विकार किया है.
#WATCH | Yog guru Baba Ramdev arrives at the Supreme Court to attend the hearing relating to misleading advertisements by Patanjali Ayurved.
— ANI (@ANI) April 23, 2024
The SC had posted Patanjali’s misleading advertisements case for hearing on April 23. pic.twitter.com/9ECDMQ12Y7
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से कहा कि जब वह पतंजलि पर उंगली उठा रहा है तो चार उंगलियां उन पर उठ रही हैं.
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने आईएमए से पूछा कि, आपके (आईएमए) डॉक्टर भी एलोपैथिक क्षेत्र में दवाओं का समर्थन कर रहे हैं. अगर ऐसा हो रहा है, तो हमें आप (आईएमए) पर किरण क्यों नहीं घुमानी चाहिए?
पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अब हम सब कुछ देख रहे हैं... हम बच्चों, शिशुओं, महिलाओं को देख रहे हैं, और किसी को भी सवारी के लिए नहीं ले जाया जा सकता है और केंद्र सरकार को इस पर जागना चाहिए.
सुप्रीम ने कहा कि वह (मामले में) सह-प्रतिवादी के रूप में उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय, सूचना और प्रसारण मंत्रालय से सवाल पूछ रही है. उन्होंने आगे कहा, देश भर के राज्य लाइसेंसिंग अधिकारियों को भी पार्टियों के रूप में जोड़ा जाएगा और उन्हें भी कुछ सवालों के जवाब देने होंगे.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने पतंजलि के खिलाफ दायर की है याचिका
बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट 17 अगस्त, 2022 को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा है. इसमें कहा गया है कि पतंजलि ने कोविड टीकाकरण और एलोपैथी के खिलाफ नकारात्मक प्रचार किया. साथ ही उन्होंने कुछ बीमारियों को अपनी आयुर्वेदिक दवाओं से ठीक करने का झूठा दावा भी किया है.