Ramesh Bidhuri: संसद में भारतीय जनता पार्टी के सांसद रमेश बिधूड़ी का आज बहुजन समाजवादी पार्टी के खिलाफ दिया गया विवादित बयान अब धीरे- धीरे ट्रोल पकड़ता ही जा रहा है. वहीं लोकसभा में बैठे हंसने वाले वाले डॉ. हर्षवर्धन ने ट्रोल होने पर सफाई दी है. इस बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मुझे इस दुर्भार्यपूर्ण घटना में बेवजह घसीटा गया है.
इस मामले पर डॉ. हर्षवर्धन ने अपनी सफाई देते हुए ट्वीट (X) कर कहा कि, मैंने ट्विटर पर अपना नाम ट्रेंड होते देखा है, जहां लोगों ने मुझे इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना में बेवजह घसीटा है, जहां दो सांसद सदन में एक-दूसरे के खिलाफ असंसदीय भाषा का इस्तेमाल कर रहे थे. हमारे वरिष्ठ और सम्मानित नेता राजनाथ सिंह पहले ही दोनों पक्षों द्वारा इस तरह की अनुचित भाषा के उपयोग की निंदा कर चुके हैं.
उन्होंने कहा कि, "मैं अपने मुस्लिम दोस्तों से पूछता हूं जो आज सोशल मीडिया पर मेरे खिलाफ लिख रहे हैं, क्या वे वास्तव में मानते हैं कि मैं कभी भी ऐसी अपमानजनक भाषा के इस्तेमाल में भागीदार बन सकता हूँ जो किसी एक समुदाय की संवेदनाओं को ठेस पहुंचाती हो ? यह नकारात्मकता से भरी एक द्वेषपूर्ण, बेबुनियादी, पूर्णतः झूठ और मनगढ़ंत कहानी है और सोशल मीडिया पर कुछ निहित राजनीतिक तत्वों द्वारा मेरी छवि को खराब करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा रहा है."
आगे उन्होंने लिखा कि, पिछले तीस वर्षों के सार्वजनिक जीवन में, मैंने अपने निर्वाचन क्षेत्र के लाखों मुस्लिम भाइयों और बहनों के साथ, अथवा जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के सहयोगियों के साथ, मिलकर काम किया है. चांदनी चौक की ऐतिहासिक गलियों में फाटक तेलियान, तुर्कमान गेट में पैदा हुआ, यहीं पला-बढ़ा. अपने मुस्लिम दोस्तों के साथ खेलते हुए बड़ा हुआ हूँ.
मैं दृढ़ विश्वास के साथ कह सकता हूं कि सभी मुस्लिम भाई-बहन जो कभी भी मेरे संपर्क में रहे, वे मेरी भावनाओं, व्यवहार और मेरे आचरण की पुष्टि करने में तनिक भी नहीं हिचकेंगे. मैं चांदनी चौक के प्रतिष्ठित निर्वाचन क्षेत्र से सांसद के रूप में जीतकर बहुत खुश हूँ और यदि सभी समुदायों के लोगों ने मेरा समर्थन नहीं किया होता तो ऐसा कभी संभव नहीं हो पाता.
इस घटना से मैं अत्यधिक आहत हुआ हूं कि निहित राजनीतिक स्वार्थ के लिए कुछ लोगों ने बेवजह मेरा नाम इस प्रकरण में घसीटा है. हालांकि मैं वहाँ एक-दूसरे पर फेंके जा रहे शब्दों की नोक-झोंक का प्रत्यक्षदर्शी ज़रूर था (जो वास्तव में पूरा सदन ही था), सच बात तो यह है कि उस शोर-शराबे में मैं स्पष्ट रूप से कुछ भी समझ नहीं पा रहा था. मैं जीवन में हमेशा अपने सिद्धांतों पर कायम रहा हूं. अपने देश और देशवासियों के हित को हर चीज से ऊपर रखते हुए, उसके लिए अपना श्रेष्ठतम देने के लिए कभी पीछे नहीं रहा हूं और यह मेरा संकल्प है कि अपने जीवन के अंतिम सांस तक इस भावना को अक्षुण रखूँगा. First Updated : Friday, 22 September 2023