Explainer: अंधेरे में रोशनी की किरणें दिखाईं दीं... बिलकिस बानो को जीत दिलाने वाली महिलाओं ने क्या कहा और वह कौन हैं

Bilkis Bano Case: गुजरात दंगे के दौरान बिलकिस बानो के साथ इन 11 दोषियों ने बर्बरता की थी, जिसके बाद से वह आज तक इस मामले में लड़ाई लड़ते हुए आईं हैं. सुप्रीम कोर्ट के द्वारा रिहाई को रद्द करने के बाद बिलकिस ने कहा कि आज सच में न्याय मिला है.

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Bilkis Bano Case: बिलकिस बानो के दोषियों की सजा माफ करने वाले गुजरात सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया और दो हफ्ते के अंदर सभी दोषियों को जेल में भेजना का फैसला सुनाया है. इस फैसले पर कहा जा रहा है कि यह अंधेरे में रोशनी की किरणें दिखाईं दीं जैसा है. पेशे से जर्नलिस्ट रेवती लाल ने कहा कि उनके सहयोगी पत्रकार का उनके पास फोन आया है और उन्होंने कहा कि बिलकिस बानो मामले में क्या वह एक जनहित याचिका दायर करना चाहती है? उन्होंने इसकी तत्काल प्रभाव से हामी भरते हुए कहा कि वह इसके लिए तैयार हैं. 

रेवती ने दायर की जनहित याचिका 

रेवती कहती हैं कि गुजरात दंगों के बाद मैंने एक निजी चैनल के साथ नौकरी करते हुए वहां पर पत्रकारिता की है, इसलिए मेरे जेहन में यह मामला पहले से ही बैठा था. जब 11 लोगों को पहली बार इसकी सजा सुनाई गई तो मैं वहां पर मौजूद थी और मैंने बिलकिस की प्रेस कांफ्रेंस की थी. पत्रकार ने आगे कहा कि मैं कभी व्यक्तिगत रूप से बिलकिस नहीं मिली हूं क्योंकि मैं कभी उनकी पीड़ा को बढ़ाना नहीं चाहती थी. क्योंकि उन्होंने वर्षों धैर्य रहा है जो एक आम आदमी की कल्पना से बिल्कुल बाहर है. इसलिए मेरे पास जब फोन आया तो मैंने जनहित याचिका के लिए हामी भर दी. 

स्वंय सेवी संस्था चलाती हैं रेवती लाल 

उत्तर प्रदेश की रहने वाली रेवती लाल शामली में एक सस्वंयसेवी संस्था 'सरफ़रोशी फॉउंडेशन' चलाती हैं, साथ ही वह एक पत्रकार भी है. रेवती बताती हैं कि इस मामले से सुभिषिनी और रूपरेखा पहले ही जुड़ चुकी थीं. इस केस की शुरूआत के लिए वह सुभाषिनी को ज्यादा तवज्जो देती देती हैं. बता दें कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की रिहाई रद्द करते हुए कहा था कि माफी की अर्जी या रिमिशन पॉलिसी पर विचार करना गुजरात सरकार के क्षेत्र के बाहर है. इसके बाद बिलकिस बानो ने एक प्रेस कांफ्रेंस कर कहा था कि यह होता है न्याय, जो माननीय सुप्रीम कोर्ट ने देश की लाखों महिलाओं के अधिकार की रक्षा करते हुए न्याय की परिभाषा को गढ़ दिया है. 

सबसे पहले सुभाषिनी अली ने SC का दरवाजा खटखटाया

सीपीआई (मार्क्सवादी) की पूर्व सांसद सुभाषिनी अली ने कहा कि हम सब ने देखा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले की प्राचीर दीवार से महिला सशक्तिकरण पर भाषण दे रहे थे और दूसरी तरफ इन दोषियों को उनकी रिहा कर फूल-माला पहनाई जा रही थी. इसके बाद पीड़िता ने कहा था कि यही है न्याय का अंत? तब हमें उस वक्त ऐसा लगा कि हम कई किलोवाट का करंट लगा है. सुभाषिनी ने इसके बाद ही तय किया कि सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाए. उन्होंने कहा कि इस लड़ाई में कई लोग शामिल हैं जिसमें मुख्य रूप से वकील और सांसद कपिल सिब्बल, अपर्णा भट्ट समेत कई सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हैं. सुभाषिनी ने कहा कई सालों बाद ऐसा फैसला आया है जिसमें सरकार को चुनौती मिली है. मैं जजों के फैसले की हिम्मत और दाद देती हूं. 

कई लड़ाईयां अभी भी बाकी है: रूपरेखा सिंह

बिलकिस बानो के दोषियों को दोबारा जेल में डालने वाला फैसला आ गया है, इस पर प्रोफेसर रूपरेखा सिंह ने कहा कि हमारी न्याय व्यवस्था पर पूरी तरीके से उम्मीदें खत्म हो गईं थीं. लेकिन अब वह जग चुकी है और न्याय के ऊपर बादल थे वो अब छंटने लगे हैं. प्रोफेसर रेखा लखनऊ यूनिवर्सिटी में दर्शनशास्त्र की पढ़ाई करती थीं, साथ जेंडर मुद्दे पर भी मुखर होकर बात करती रहती थीं. उन्होंने कहा कि जैसे ही इन 11 दोषियों की सजा माफ करने वाला फैसला हमारे सामने आया तो वह काफी निराश हुईं थीं. प्रोफेसर ने कहा कि मैंने यह फैसला कर लिया था कि हम दिल्ली में जाकर इसकी लड़ाई सुप्रीम कोर्ट लड़ेंगे और हमने दिल्ली में अपने साथियों से संपर्क साधा. लेकिन वह सभी के नामों का खुलासा करने से मना करती हैं क्योंकि अभी उन्हें कई लड़ाईयां लड़ने बाकी है. लेकिन नामों का जिक्र किया है इसमें कपिल सिब्बल, वृंदा ग्रोवर और इंदिरा जयसिंह का नाम शामिल है.  First Updated : Wednesday, 10 January 2024