Religion or Crime: प्रदीप मिश्रा, जो भगवान शिव की भक्ति और धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए जाने जाते हैं, आज एक बड़े विवाद का केंद्र बन गए हैं. उनकी कथाओं ने लाखों लोगों को आध्यात्म की ओर प्रेरित किया है. लेकिन सोचिए, जब एक धर्मगुरु, जो लोगों को सच्चाई और भक्ति का मार्ग दिखाने की बात करता है, खुद ऐसे लोगों के साथ जुड़ जाए जो अपराध की दुनिया में गहरे उतर चुके हैं, तो सवाल उठना तो लाजमी है.
महादेव सट्टा ऐप के किंग्स सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल, जो अब भारत के मोस्ट वांटेड अपराधियों की सूची में शामिल हैं, ऑनलाइन सट्टे के बड़े नेटवर्क के मास्टरमाइंड माने जाते हैं. इन पर हजारों लोगों की जिंदगी बर्बाद करने और कई परिवारों को तबाह करने का आरोप है. पुलिस, ईडी, और सीबीआई इन दोनों की तलाश में हैं.
हाल ही में प्रदीप मिश्रा दुबई में सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल के बुलावे पर कथा सुनाने पहुंचे. यह वही लोग हैं, जो अपराध की दुनिया के बड़े नाम बन चुके हैं. अब सवाल यह है कि क्या प्रदीप मिश्रा को इन दोनों के काले कारनामों के बारे में जानकारी नहीं थी? और अगर थी, तो वह उनके बुलावे पर दुबई क्यों गए?
महादेव सट्टा ऐप ने ऑनलाइन सट्टे को बढ़ावा देकर समाज को गहरी चोट पहुंचाई है. ऐसे में, प्रदीप मिश्रा का इन अपराधियों के बीच कथा सुनाने जाना न केवल उनकी छवि को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि धर्म और भक्ति के संदेश पर भी सवाल खड़े कर रहा है.
यह सवाल हर किसी के मन में है कि क्या पैसा और ऐशो-आराम का लालच किसी को इतना अंधा बना सकता है कि वह यह भी न देखे कि वह किसके साथ जुड़ रहा है? क्या धर्म का प्रचार करने वाले प्रदीप मिश्रा इस सच्चाई से अनजान थे? या फिर यह सब जानने के बाद भी उन्होंने यह कदम उठाया?
प्रदीप मिश्रा के दुबई जाने की खबर से उनके अनुयायी भी असमंजस में हैं. धर्मगुरु से समाज को बड़े आदर्शों की उम्मीद होती है. लेकिन इस विवाद ने उनके अनुयायियों को निराश किया है. लोग जानना चाहते हैं कि इस पूरे मामले में प्रदीप मिश्रा की भूमिका क्या है.
धर्म और अपराध के बीच की यह दूरी आखिर इतनी कम क्यों हो गई? यह सवाल न केवल प्रदीप मिश्रा के लिए, बल्कि समाज के हर धर्मप्रेमी के लिए सोचने का विषय है. अब वक्त है कि प्रदीप मिश्रा खुद सामने आकर इस विवाद पर सफाई दें और सच्चाई को उजागर करें. आखिर, धर्म और भक्ति का संदेश देने वाले से यह उम्मीद की जाती है कि वह समाज के लिए एक आदर्श बने. लेकिन यह विवाद दिखाता है कि सच्चाई और झूठ के बीच की लकीर कितनी धुंधली हो सकती है. अब देखना यह है कि इस पूरे मामले का सच क्या है और प्रदीप मिश्रा इसे कैसे स्पष्ट करते हैं. First Updated : Thursday, 12 December 2024