मां को किए याद, टीम इंडिया समेत Modi 3.0 के कार्यकाल की सुनिए 10 बड़ी बातें
Mann Ki Baat: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीते चार माह बाद मन की बात कार्यक्रम के माध्यम से लोगों को संबोधित किया है. मन की बात रेडियो प्रोग्राम के जरिए पीएम मोदी देश के लोगों से महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करते हैं. मन की बात में पीएम मोदी संबोधित करते हुए कहा कि "एक बड़ी प्यारी कहावत है, 'इति विदा पुनर्मिलनाय'. इसका अर्थ उतना ही प्यारा है.
Mann Ki Baat: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीते चार माह बाद मन की बात कार्यक्रम के माध्यम से लोगों को संबोधित किया है. मन की बात रेडियो प्रोग्राम के जरिए पीएम मोदी देश के लोगों से महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करते हैं. मन की बात में पीएम मोदी संबोधित करते हुए कहा कि "एक बड़ी प्यारी कहावत है, 'इति विदा पुनर्मिलनाय'. इसका अर्थ उतना ही प्यारा है. इस लाइन का मतलब है कि मैं विदा लेता हूं फिर मिलने के लिए. मैंने फरवरी में कहा था कि मैं चुनाव के चलते आपसे बात नहीं कर पाऊंगा. चुनाव संपन्न होने के बाद एक बार फिर से मैं आपके बीच आ गया हूं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' के 111वें एपिसोड को संबोधित करते हुए कहा कि, "आज आखिरकार वह दिन आ ही गया, जिसका हम सब फरवरी से इंतजार कर रहे थे. 'मन की बात' के माध्यम से, मैं एक बार फिर आपके बीच, अपने परिवार के सदस्यों के बीच हूं. मैंने फरवरी में आपसे कहा था कि मैं आपसे फिर मिलूंगा." चुनाव नतीजों के बाद और आज मैं फिर आपके बीच मन की बात लेकर उपस्थित हूं...''
आगे उन्होंने ने कहा कि ''मन की बात रेडियो कार्यक्रम भले ही कुछ महीनों के लिए बंद हो गया हो. लेकिन मन की बात की भावना...देश, समाज के लिए किया गया काम, हर दिन अच्छा काम किया गया, निस्वार्थ भाव से किया गया काम. जिसका समाज पर सकारात्मक प्रभाव निरंतर जारी रहा. मैं आज देशवासियों को भी धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने हमारे संविधान और देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था में अपना अटूट विश्वास दोहराया. लोकसभा चुनाव 2024 दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव था दुनिया के किसी भी देश में इतना बड़ा चुनाव नहीं हुआ, जिसमें 65 करोड़ लोगों ने वोट डाला हो, मैं चुनाव आयोग और चुनाव प्रक्रिया से जुड़े सभी लोगों को बधाई देता हूं.''
'मन की बात' के 111वें एपिसोड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि "आज 30 जून बहुत महत्वपूर्ण दिन है। हमारे आदिवासी भाई-बहन इस दिन को 'हुल दिवस' के रूप में मनाते हैं। यह दिन वीर के साहस से जुड़ा है." विदेशी शासकों के अत्याचारों का पुरजोर विरोध करने वाले वीर सिद्धु और कान्हू ने हजारों संथाली साथियों को एकजुट किया और अंग्रेजों से पूरी ताकत से मुकाबला किया और क्या आप जानते हैं कि ऐसा कब हुआ था, यानी 1855 में ऐसा हुआ था 1857 में भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से कई साल पहले, जब झारखंड के संथाल परगना में हमारे आदिवासी भाइयों और बहनों ने विदेशी शासकों के खिलाफ हथियार उठाए थे."