गुरुग्राम लैंड डील में रॉबर्ट वाड्रा का ED दफ्तर में फिर सवालों से सामना, साथ में पहुंची प्रियंका गांधी
रॉबर्ट वाड्रा गुरुग्राम भूमि मामले में लगातार दूसरे दिन ED के सामने पेश हुए, जहां उनकी पूछताछ 2008 के भूमि सौदे से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच का हिस्सा थी. वाड्रा ने इस कार्रवाई को राजनीतिक प्रतिशोध बताते हुए जांच को जल्दी निपटाने की अपील की है.

गुरुग्राम भूमि मामले में लगातार दूसरे दिन रॉबर्ट वाड्रा अपनी पत्नी और कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के दफ्तर पहुंचे. वो कार्यालय में दाखिल होने से पहले प्रियंका गांधी से गले मिले और फिर अधिकारियों के सामने पेश हुए. रॉबर्ट वाड्रा पर ये पूछताछ 2008 के हरियाणा के मानेसर-शिकोहपुर भूमि सौदे से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग की जांच का हिस्सा है. इस मामले में उनसे मंगलवार को 5 घंटे तक पूछताछ की गई थी और उनके बयान को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत दर्ज किया गया था.
2008 के हरियाणा भूमि सौदे की जांच
रॉबर्ट वाड्रा का नाम उस भूमि सौदे में शामिल है जो हरियाणा के मानेसर-शिकोहपुर (अब सेक्टर 83) में हुआ था. ये सौदा फरवरी 2008 में किया गया था, जब वाड्रा एक कंपनी 'स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड' के निदेशक थे. कंपनी ने 3.5 एकड़ भूमि को ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज नामक फर्म से 7.5 करोड़ रुपये में खरीदा था. तब हरियाणा में भूपिंदर सिंह हुड्डा की अगुवाई में कांग्रेस सरकार थी. 4 साल बाद, सितंबर 2012 में, कंपनी ने ये भूमि रियल्टी कंपनी DLF को 58 करोड़ रुपये में बेच दी.
भूमि सौदा और विवाद
ये सौदा 2012 में विवादों में आ गया, जब हरियाणा के आईएएस अधिकारी अशोक खेमका ने इस सौदे की म्यूटेशन रद्द कर दी. बता दें कि वो उस समय राज्य के भूमि संकलन और भूमि रजिस्ट्रेशन विभाग के महानिदेशक थे. उन्होंने इसे राज्य के भूमि संकलन अधिनियम और कुछ अन्य प्रक्रियाओं का उल्लंघन बताते हुए रद्द किया था. इस विवाद के बाद, 2018 में हरियाणा पुलिस ने इस सौदे की जांच के लिए एक FIR दर्ज की थी.
रॉबर्ट वाड्रा का 'राजनीतिक प्रतिशोध' आरोप
रॉबर्ट वाड्रा ने ED की कार्रवाई को 'राजनीतिक प्रतिशोध' करार दिया. उन्होंने कहा कि उन्होंने हमेशा जांच एजेंसियों के साथ सहयोग किया है और इस मामले से जुड़े दस्तावेज़ों का एक बड़ा हिस्सा उन्हें सौंपा है. वाड्रा ने ये भी कहा कि ऐसी पुरानी जांचों का जल्द ही निपटारा किया जाना चाहिए, जो 20 साल से भी ज्यादा पुरानी हैं.
रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ चल रही ED की जांच राजनीतिक और कानूनी दृष्टिकोण से बेहद संवेदनशील बन चुकी है. ऐसे में अब देखना होगा कि इस मामले में जांच की प्रक्रिया कैसे आगे बढ़ती है.