गुरुग्राम जमीन सौदे में फंसे वाड्रा, आज ED के सामने पेशी
रॉबर्ट वाड्रा की मुश्किलें फिर बढ़ गई हैं. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उन्हें हरियाणा भूमि सौदा मामले में दूसरा समन भेजा है. यह मामला 2018 में गुरुग्राम में स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी और डीएलएफ के बीच 3.5 एकड़ जमीन के ट्रांसफर से जुड़ा है. वाड्रा पर धोखाधड़ी और नियमों के उल्लंघन के आरोप हैं. पहले समन पर वे हाजिर नहीं हुए थे.

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा के पति रॉबर्ट वाड्रा की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ गई हैं. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उन्हें हरियाणा भूमि सौदा मामले में पूछताछ के लिए समन भेजा है. यह समन गुरुग्राम में स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी और डीएलएफ लिमिटेड के बीच हुए 3.5 एकड़ जमीन के ट्रांसफर से जुड़े मामले में भेजा गया है, जो वर्ष 2018 से जांच के घेरे में है.
रॉबर्ट वाड्रा को इससे पहले भी 8 अप्रैल को समन भेजा गया था, लेकिन वे उस दिन पूछताछ के लिए उपस्थित नहीं हुए. अब ईडी ने दूसरा समन जारी करते हुए उन्हें दोबारा उपस्थित होने का निर्देश दिया है. एजेंसी वाड्रा से उनकी कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी के जरिए हुए वित्तीय लेनदेन और जमीन की खरीद-फरोख्त में हुई कथित अनियमितताओं और धोखाधड़ी की जांच कर रही है.
क्या है पूरा मामला?
यह केस गुरुग्राम के सेक्टर 83 में स्थित 3.5 एकड़ जमीन की खरीद-फरोख्त से जुड़ा है. आरोप है कि वाड्रा की कंपनी ने यह जमीन नियमों की अनदेखी करते हुए और कथित राजनीतिक प्रभाव का उपयोग कर डीएलएफ को बेची थी. इस लेनदेन में नीतिगत उल्लंघन, हेराफेरी और धोखाधड़ी के आरोप लगे हैं. जांच एजेंसियों का कहना है कि यह जमीन बेहद कम कीमत पर खरीदी गई और फिर डीएलएफ को ऊंचे दामों पर बेची गई, जिससे करोड़ों रुपये का मुनाफा हुआ.
केजरीवाल ने लगाए थे आरोप, DLF ने किया था इनकार
यह मामला तब चर्चा में आया जब अक्टूबर 2011 में अरविंद केजरीवाल, जो उस समय एक एक्टिविस्ट थे, ने रॉबर्ट वाड्रा पर डीएलएफ से 65 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त कर्ज लेने और राजनीतिक फायदे के बदले जमीन पर सौदेबाजी करने का आरोप लगाया था.
हालांकि, डीएलएफ ने तत्काल इन आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि वाड्रा के साथ उनका रिश्ता एक निजी उद्यमी सौदे जैसा था और जो पैसा दिया गया, वह एक ‘बिजनेस एडवांस’ था, जो स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी से खरीदी गई जमीन की कीमत के भुगतान के लिए था.
राजनीतिक हलकों में बढ़ी हलचल
ईडी की इस कार्रवाई के बाद राजनीतिक हलकों में एक बार फिर हलचल मच गई है. विपक्ष इसे सत्ता का दुरुपयोग बता सकता है, जबकि ईडी का कहना है कि यह सिर्फ कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा है. अब देखना यह होगा कि वाड्रा इस बार एजेंसी के सामने पेश होते हैं या फिर कोई कानूनी रास्ता अपनाते हैं. फिलहाल, रॉबर्ट वाड्रा के लिए यह मामला फिर से राजनीतिक और कानूनी मोर्चे पर चुनौती बनता दिख रहा है.