Rohith Vemula case: तेलंगाना पुलिस ने हैदराबाद यूनिवर्सिटी के पीएचडी स्कॉलर रोहित वेमुला की जनवरी 2016 में हुई मौत के मामले में अपनी जांच बंद कर क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की है. इस दौरान पुलिस ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है. पुलिस ने रिपोर्ट में कहा है कि रोहित दलित नहीं था. उसकी मौत इसलिए हुई क्योंकि उसे डर था कि उसकी असली जाति सभी को पता चल जाएगी. वो राजनीतिक तौर पर काफी एक्टिव था. इसके चलते शैक्षणिक प्रदर्शन भी ठीक नहीं था. पुलिस ने आत्महत्या के पीछे इसे सभी वजह माना है.
बता दें, कि हैदराबाद की सेंट्रल यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में रोहिल वेमुला ने 17 जनवरी, 2016 को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. तब वह समाजशास्त्र विभाग में पीएचडी कर रहा था. उसने एक सुसाइड नोट भी लिखा था. इसमें कहा था, मैं हमेशा से एक लेखक बनना चाहता था. नोट के अंत में जय भीम लिखकर अपनी बात खत्म की थी.
हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन ने रोहित वेमुला मौत मामले पर तेलंगाना पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है. उनकी मांग है कि इस रिपोर्ट को वापस लिया जाए. फिर से अच्छी तरह से जांच की जाए. रोहित वेमूला के भाई का आरोप है कि उसका उत्पीड़न किया गया था. वो इस बारे में तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी से मिलकर बात करेंगे.
इस मामले को लेकर एनएसयूआई महासचिव प्रभाकर सिंह का कहना है, "जो क्लोजर रिपोर्ट दायर की गई है वह वास्तव में एक जांच रिपोर्ट नहीं है. यह रोहित वेमुला की जाति की जांच है. इसकी जांच नहीं होनी चाहिए थी. जांच इस बारे में होनी चाहिए थी. रोहित वेमुला को परेशान करने और उसे आत्महत्या के लिए मजबूर करने में जिन लोगों की भूमिका है, यह आत्महत्या नहीं, बल्कि एक संस्थागत हत्या थी. हम रोहित को न्याय दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे."
तेलंगाना पुलिस ने वेमुला की मौत के बाद उस समय सिंकदराबाद से सांसद रहे बंडारू दत्तात्रेय, एमएलसी एन रामचंदर राव और कुलपति अप्पा राव समेत एबीवीपी और तत्कालीन महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की था. आत्महत्या के बाद देश भर के विश्वविद्यालयों में यह मामला जोरशोर से उठा था. अब पुलिस ने सभी को बरी कर दिया है. इस दौरान पुलिस ने तेलंगाना हाई कोर्ट में शुक्रवार को राज्य की पुलिस ने क्लोजर रिपोर्ट दायर की. इस रिपोर्ट में कहा गया कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि रोहित की आत्महत्या के लिए कोई जिम्मेदार था. इस रिपोर्ट में दावा किया गया कि रोहित बेमूला की ओर से दिए गए जाति प्रमाण पत्र जाली थे और वह एससी वर्ग से संबंधित नहीं थे.
पुलिस के रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया कि रोहित को डर था कि उसकी असली जाति का खुलासा हो जाएगा और इससे उसकी शैक्षणिक उपलब्धियां खत्म हो जाएगी, जिससे पता चलता है कि यही वजह उसकी आत्महत्या का कारण बनी.
इस मामले में तेलंगाना के डीजीपी का बयान सामने आया है. उन्होंने कहा है कि मामले को लेकर क्लोजर रिपोर्ट पिछले साल नवंबर से पहले ही की गई जांच के आधार पर तैयार कर ली गई थी. क्लोजर रिपोर्ट आधिकारिक तौर पर जांच अधिकारी ने इस साल 21 मार्च को अदालत में दायर की. रोहित की मां और अन्य लोगों ने जांच पर संदेह व्यक्त किए गए हैं. इसलिए मामले की आगे की जांच करने का फैसला लिया गया है. First Updated : Friday, 03 May 2024