भारत की आखिरी सती रूप कंवर, 4 दशक बाद आरोपी बरी जानिए पूरा कांड

Roop Kanwar Sati Case: साल 1984 में राजस्थान देवराला में एक ऐसी घटना हुई थी जिसने देश को हिला कर रख दिया था. ये मामला था देश की आखिरी सती रूप कंवर का. हालांकि, एक बार फिर से इसकी चर्चा हो रही है क्योंकि, सबूतों के आभाव में इसके आखिरी 4 आरिपों को बरी कर दिया गया है.

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Roop Kanwar Sati Case: साल 1984 राजस्थान के एक छोटे से गांव में कुछ ऐसा हुआ कि दुनियाभर की मीडिया यहां अपने कैमरे और पत्रकार भेज दिए. ये भारत में दर्ज सती प्रथा का अंतिम मामला था. यहां 18 वर्षीय रूप कंवर को कथित रूप से अपने पति की चिता पर जिंदा जला दिया गया था. अब सालों बाद एक बार फिर से इस मामले की चर्चा हो रही है. क्योंकि अदालत ने 37 साल बाद पर्याप्त सबूत न होने के कारण अंतिम 8 आरोपियों को बरी कर दिया है. आइये जानें क्या था ये पूरा मामला?

रूप कंवर उस समय सिर्फ 18 साल की थीं. उनकी शादी 24 वर्षीय माल सिंह से हुई थी. शादी के केवल आठ महीने बाद सितंबर 1987 में माल सिंह की गैस्ट्रोएंटेराइटिस से मृत्यु हो गई. उनके शव को अंतिम संस्कार के लिए उनके गांव देवराला, राजस्थान लाया गया. इसके बाद हुआ, उसने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया.

कंवर ने खुद जाहिर की थी इच्छा

रिपोर्ट्स के अनुसार, रूप कंवर ने सती होने की इच्छा व्यक्त की थी. ये एक प्राचीन प्रथा थी जिसमें विधवा अपने पति की चिता पर स्वयं को जला देती थी. रूप कंवर ने अपने ससुर को अपनी इस इच्छा के बारे में बताया. वह दुल्हन के वस्त्र में अंतिम संस्कार में शामिल हुईं और हजारों ग्रामीणों की उपस्थिति में अपनी पति कि चिता के साथ सती हो गई.

कहा ये भी जाता है कि रूप कंवर ने अपने पति के सिर को अपनी गोद में लिया था. वो गायत्री मंत्र का जाप कर रही थी. कुछ ही समय बाद, वह आग की लपटों में जलकर अपने पति के साथ चली गईं. देवराला में हुई इस घटना को सुनकर आसपास के गांवों में यह खबर आग की तरह फैल गई. हजारों लोग रूप कंवर की मृत्यु स्थल पर आने लगे. लोग वहां नारियल चढ़ाने लगे.

ऐसे हुई घटना की पुष्टि

एक राजस्व अधिकारी ने इस कमी की जांच की और इस प्रक्रिया में रूप कंवर की मौत के भयावह विवरण सामने आए. एक पुलिस कांस्टेबल को इस घटना की पुष्टि के लिए देवराला भेजा गया. जब वह पहुंचा तो उसने एक बड़े पत्थर को लाल कपड़े से ढका हुआ पाया, जिसके सामने एक त्रिशूल लगा हुआ था. वहां हजारों लोग फूल, धूप और नारियल चढ़ाकर "सती माता" की पूजा कर रहे थे.

समर्थकों ने की पहरेदारी

जैसे ही रूप कंवर की मौत की खबर फैली, इस मामले को पूरे राजस्थान और भारत में प्रमुखता मिली. धार्मिक संगठनों और जाति समूहों ने इस कृत्य का समर्थन करते हुए इसे धार्मिक स्वतंत्रता और परंपरा का मामला बताया. समर्थकों ने "सती माता" स्थल की रक्षा करना शुरू कर दिया और इसे धार्मिक और जातीय गौरव का प्रतीक बना दिया.

सरकार की कार्रवाई

इस घटना के बाद, राजस्थान सरकार को कार्रवाई करनी पड़ी. रूप कंवर के ससुराल वालों सहित कई लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई. हालांकि, यह मामला जल्द ही विवाद का विषय बन गया और लोगों की राय विभाजित हो गई. 1987 में, भारत सरकार ने सती प्रथा निषेध अधिनियम पारित किया, जिसमें सती प्रथा और इसके किसी भी प्रकार के महिमामंडन पर स्पष्ट रूप से प्रतिबंध लगा दिया गया. हालांकि, कानूनी कार्यवाही में दशकों लग गए.

रूप कंवर का परिवार बरी

अक्टूबर 2024 में यानी घटना के लगभग चार दशक बाद अदालत ने मामले में अंतिम आठ आरोपियों को बरी कर दिया. क्योंकि ठोस सबूतों की कमी थी. सभी आरोपी, जिनमें रूप कंवर के परिवार के सदस्य और घटना के समय मौजूद लोग शामिल थे, अब बरी हो चुके हैं. हालांकि, सती प्रथा को रोकने के लिए कानूनी कदम उठाए गए थे, लेकिन रूप कंवर का मामला आज भी भारत के कुछ हिस्सों में सांस्कृतिक और धार्मिक तनाव का प्रतीक बना रहा.

First Updated : Saturday, 12 October 2024