जन औषधि केंद्रों से 30,000 करोड़ रुपये की बचत! 15,000 से ज्यादा केंद्र चालू, 10,000 और खोलने की तैयारी

प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना देशभर में आम नागरिकों के लिए वरदान साबित हो रही है. अगले दो सालों में इस योजना का विस्तार और अधिक लोगों को सस्ती दवाइयां उपलब्ध कराने में मदद करेगा. शुक्रवार (28 मार्च) को संसद को बताया गया कि 28 फरवरी तक देश भर में कुल 15,057 जन औषधि केंद्र कार्यरत हैं.

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

भारत सरकार ने प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (PMBJP) के तहत 15,000 जन औषधि केंद्र खोलने का लक्ष्य तय समय से दो महीने पहले ही पूरा कर लिया है. अब तक देशभर में 15,057 जन औषधि केंद्र खोले जा चुके हैं, जिससे आम जनता को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण दवाइयां उपलब्ध हो रही हैं.

केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने लोकसभा में जानकारी दी कि सरकार ने अब मार्च 2026 तक 20,000 और मार्च 2027 तक 25,000 जन औषधि केंद्र खोलने का लक्ष्य रखा है.

जन औषधि केंद्रों का प्रभाव

सरकार के अनुसार, पिछले 10 सालों में जन औषधि केंद्रों के माध्यम से लगभग 6,975 करोड़ रुपये की दवाइयां बेची गई हैं, जिससे 30,000 करोड़ रुपये की बचत हुई है. यह बचत महंगी ब्रांडेड दवाइयों की तुलना में अधिक किफायती दवाइयों की उपलब्धता के कारण संभव हुई है.

जन औषधि केंद्रों की वर्तमान स्थिति

कुल संचालित केंद्र: 15,057 (28 फरवरी 2025 तक)

नई योजना: 2026 तक 20,000 और 2027 तक 25,000 केंद्र खोलने का लक्ष्य

उपलब्ध दवाइयां: 2,047 प्रकार की दवाइयां और 300 से अधिक सर्जिकल उत्पाद

प्रतिदिन आने वाले मरीज: 10-12 लाख लोग औसतन जन औषधि केंद्रों से दवाइयां खरीद रहे हैं.

कम कीमत पर गुणवत्तापूर्ण दवाइयां

जन औषधि केंद्रों पर मिलने वाली दवाइयां 50% से 80% तक सस्ती होती हैं.

हृदय रोग, मधुमेह, संक्रमण, कैंसर और पाचन संबंधी बीमारियों के लिए जरूरी दवाइयां उपलब्ध हैं.

सरकार का लक्ष्य 2025 तक 2,100 दवाइयों और 310 सर्जिकल उत्पादों को दवा सूची में शामिल करना है.

दवाइयों की आपूर्ति और प्रबंधन

मुख्य भंडार केंद्र: गुरुग्राम में स्थित है.

क्षेत्रीय हब: बेंगलुरु, चेन्नई, सूरत और गुवाहाटी में स्थापित.

36 वितरकों का नेटवर्क और प्रोत्साहन आधारित स्टॉकिंग प्रणाली से दवाइयों की निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित की जाती है.

जन औषधि केंद्र खोलने की प्रक्रिया

सरकार फ्रेंचाइज़ी मॉडल के तहत व्यक्तिगत उद्यमियों, एनजीओ, ट्रस्ट, कंपनियों को ऑनलाइन आवेदन के माध्यम से जन औषधि केंद्र खोलने की अनुमति देती है. दो केंद्रों के बीच न्यूनतम 1 किमी की दूरी रखी जाती है ताकि सभी को समान अवसर मिल सके.

बढ़ती मांग और आगे की योजना

सरकार द्वारा संचालित इस योजना की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है. वित्तीय वर्ष 2024-25 में 28 फरवरी तक 1,767.18 करोड़ रुपये की दवाइयां बेची गईं, जो पिछले वर्ष की 1,327 करोड़ रुपये की बिक्री से 33% अधिक है.

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29 March 2025, 10:50 AM IST

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