नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शताब्दी वर्ष में प्रवेश करने से पहले अपने अंतिम विजयादशमी भाषण में, सरसंघचालक मोहन भागवत ने कोलकाता में सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक जूनियर डॉक्टर के बलात्कार और हत्या को “ढंकने” की कोशिशों की निंदा की. साथ ही कहा कि ऐसी घटनाएं समाज में एक बड़े सांस्कृतिक पतन और भ्रष्टाचार का परिणाम हैं. कई राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों को जोड़ते हुए, भागवत ने कहा कि समाज में सांस्कृतिक निगरानी की आवश्यकता है, जिसमें ओटीटी प्लेटफार्मों पर एक कानून भी शामिल है.
भागवत ने कहा,"हमारे देश की परंपरा क्या है? अगर द्रौपदी के कपड़े छुए गए, तो महाभारत हुआ. अगर सीता का अपहरण हुआ, तो रामायण हुई और अब, किस तरह की घटनाएं हो रही हैं? कोलकाता में आरजी कर अस्पताल में जो हुआ वह एक शर्मनाक घटना थी, जो हम सभी का अपमान है." पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सरकार पर एक दुर्लभ हमले में उन्होंने कहा, "हमें यह यकीनी करने के लिए हर मुमकिन कोशिश करनी चाहिए कि ऐसी घटनाएं न हों, लेकिन घटना के बाद भी जिस तरह से घटना को छिपाने की कोशिश की गई, उससे अपराधियों को बचाने की कोशिश की गई."
भागवत ने ओटीटी को लेकर कहा कि लोगों में लगातार संस्कार की कमी होती जा रही है. इसके लिए उन्होंने ओटीटी को बड़ा जिम्मेदार बताया है. उन्होंने कहा कि ये भी एक अहम वजह है, जिसकी वजह से संस्कार आज कम होते जा रहे हैं. भागवत ने आगे कहा कि जब जीवन में यही संस्कार आ जाते हैं, तो इसका दूसरा पहलू सामाजिक और नागरिक जीवन भी है. उन्होंने कहा, "ओटीटी प्लेटफॉर्म पर जो दिखाया जा रहा है, उस पर बहुत कम या कोई नियंत्रण नहीं है. बहुत सारा कंटेंट इतनी नफरती है कि उसका जिक्र करना भी शालीनता का उल्लंघन होगा. हमारे घरों, खासकर बच्चों तक पहुंचने वाली इस तरह के कंटेंट पर कानून बनाने की तत्काल आवश्यकता है."
उन्होंने कहा कि शिक्षित उसे माना जाता है जो महिलाओं को माता समान समझता है. पराए धन को मिट्टी समान मानता है और खुद की मेहनत और सन्मार्ग से ही धनार्जन करता है. इंसान का आचरण ऐसा जिससे दूसरों को दु:ख कष्ट न पहुंचे. इस तरह का व्यहार जिस मनुष्य का होता है, उसे ही शिक्षित कहा जाता है.
अपने भाषण में भागवत ने बांग्लादेश में राजनीतिक संकट को विस्तार से संबोधित किया, जिसमें देश में "कट्टरपंथ", हिंदुओं पर अत्याचार और पड़ोसी देश से "घुसपैठ" के कारण भारत में पैदा हुए "जनसंख्या असंतुलन" का जिक्र किया. उन्होंने कहा, "यह एक रस्म बन गई है कि कोई भी देश जो तेजी से बढ़ना शुरू करता है, उसे गिरा दिया जाता है. लोग लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को अस्थिर करने की कोशिश करेंगे. इसका एक उदाहरण हमारा पड़ोसी बांग्लादेश है. हम जानते हैं कि इसके लिए तात्कालिक कारण हैं, लेकिन ऐसी हिंसा और युद्ध जैसी स्थिति किसी तात्कालिक या अचानक होने वाली घटना के कारण नहीं हो सकती."
भागवत ने कहा कि विशेषज्ञों को इस बात पर चर्चा करनी चाहिए कि ये कारण क्या हो सकते हैं, लेकिन दो चीजें हैं जिन पर ध्यान देने की जरूरत है. एक, संकट (शेख हसीना को सत्ता से बेदखल करना) जिसके कारण बांग्लादेश में रहने वाले हिंदुओं पर बार-बार हमले हुए और समुदाय देश में “पहली बार” खुद को बचाने के लिए एकजुट हुआ. उन्होंने आरोप लगाया कि जब तक कमजोरों पर हमला करने की यह कट्टरपंथी प्रवृत्ति वहां मौजूद है, तब तक न केवल हिंदू, बल्कि वहां के सभी अल्पसंख्यक खतरे में हैं. First Updated : Saturday, 12 October 2024