राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने सोमवार को कहा कि जाति जनगणना कल्याणकारी जरूरतों को पूरा करने के लिए उपयोगी हो सकती है, लेकिन इसका इस्तेमाल चुनावी उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाना चाहिए. आरएसएस के प्रचार प्रमुख (मुख्य प्रवक्ता) सुनील आंबेकर ने कहा कि सरकार को आंकड़ों के उद्देश्य से इसे करानी चाहिए. जातिगत प्रतिक्रियाएं हमारे समाज में एक संवेदनशील मुद्दा हैं, और वे राष्ट्रीय एकीकरण के लिए महत्वपूर्ण हैं.
केरल के पलक्कड़ में तीन दिवसीय सम्मेलन के बाद आंबेकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि, जाति जनगणना का इस्तेमाल चुनाव प्रचार और चुनावी उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाना चाहिए. वरिष्ठ आरएसएस नेता की टिप्पणी कांग्रेस सांसद राहुल गांधी सहित विपक्षी नेताओं द्वारा देशव्यापी जाति जनगणना की मांग पर आई है, जिसमें उन्होंने इसे नीति निर्माण और खत्म होने की कागार पर आए समूहों के लिए आवश्यक बताया है.
गांधी परिवार के वारिस देश भर में जाति जनगणना के कट्टर समर्थक रहे हैं, जिसे लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी के घोषणापत्र में भी शामिल किया गया था. गांधी परिवार ने कांग्रेस के सत्ता में आने पर जनगणना कराने का वादा किया है, उन्होंने कहा कि यह सीधे संविधान की रक्षा से जुड़ा हुआ है.
पिछले साल दिसंबर में हुए विवाद के बीच, आरएसएस ने जाति जनगणना पर अपना रुख साफ करते हुए कहा था कि वह सरकार द्वारा देशव्यापी प्रक्रिया चलाए जाने के विरोध में नहीं है. आंबेकर ने कहा था कि हाल ही में जाति जनगणना को लेकर फिर से चर्चा शुरू हो गई है. हमारा मानना है कि इसका इस्तेमाल समाज की समग्र प्रगति के लिए किया जाना चाहिए और ऐसा करते समय सभी पक्षों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सामाजिक सद्भाव और अखंडता में कोई बाधा न आए. First Updated : Monday, 02 September 2024