बिहार में बने जूते पहनकर लड़ रही रूसी सेना, भारत का डिफेंस एक्सपोर्ट रिकॉर्ड स्तर पर
भारत ने रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में कई एडवांस मिलिट्री प्लेटफॉर्म विकसित किए हैं, जैसे कि धनुष आर्टिलरी गन सिस्टम, टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS), अर्जुन मुख्य युद्धक टैंक, तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट, आकाश मिसाइल सिस्टम, और आकाशवाणी हेलीकॉप्टर. इसके अलावा, स्वदेशी विमान वाहक, पनडुब्बी, फ्रिगेट और गश्ती जहाजों का भी निर्माण किया गया है.

India Defense Export: भारत अब रक्षा क्षेत्र में तेजी से आत्मनिर्भर बनता जा रहा है. रक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में देश में 65 फीसदी रक्षा उपकरण बनाए जाते हैं, जबकि पहले यह संख्या 30-35 फीसदी ही थी. वित्त वर्ष 2023-24 में भारत का रक्षा उत्पादन 1.27 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जो 2014-15 के मुकाबले 174 फीसदी की वृद्धि दर्शाता है. यह वृद्धि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मेक इन इंडिया' अभियान की सफलता को दर्शाती है. इसके अलावा, भारत का रक्षा निर्यात भी रिकॉर्ड 21,083 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है, जो पिछले दशक में 30 गुना बढ़ा है.
भारत अब वैश्विक रक्षा विनिर्माण केंद्र बनने का लक्ष्य लेकर चल रहा है और इसके तहत 2029 तक 3 लाख करोड़ रुपये का उत्पादन और 50 हजार करोड़ रुपये का निर्यात करने की योजना बनाई गई है. रिपोर्ट के मुताबिक, रक्षा बजट में 2013-14 के 2.53 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2025-26 में 6.81 लाख करोड़ रुपये हो जाने का संकेत है कि देश सैन्य बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है.
देश में 65 फीसदी स्वदेशी रक्षा उपकरण
देश में रक्षा उपकरणों के निर्माण में अब 65 फीसदी स्वदेशी योगदान है. पहले 65-70 फीसदी उपकरण विदेशी स्रोतों से आयात किए जाते थे. अब भारत के रक्षा उद्योग में 16 डीपीएसयू, 430 से ज्यादा लाइसेंस प्राप्त कंपनियां और करीब 16,000 MSMEs शामिल हैं. इसके साथ ही, प्राइवेट सेक्टर का योगदान भी बढ़कर 21 फीसदी हो गया है.
भारत के रक्षा निर्यात में वर्ष दर वर्ष 32.5% की वृद्धि देखी गई है. 2022-23 में यह 15,920 करोड़ रुपये था, जो 2023-24 में बढ़कर 21,083 करोड़ रुपये हो गया है. भारत के रक्षा निर्यात में बुलेटप्रूफ जैकेट, डोर्नियर (Do-228) विमान, चेतक हेलीकॉप्टर, तेज़ इंटरसेप्टर बोट और हल्के टॉरपीडो शामिल हैं.
100 से अधिक देशों में भारत कर रहा निर्यात
अब, 'मेड इन बिहार' जूते भी रूसी सेना के गियर का हिस्सा बन चुके हैं, और इस प्रकार भारत का रक्षा उत्पादन वैश्विक स्तर पर स्वीकार किया जा रहा है. भारत अब 100 से अधिक देशों को रक्षा उपकरण निर्यात करता है, जिनमें अमेरिका, फ्रांस और आर्मेनिया प्रमुख ग्राहक हैं.
रक्षा मंत्रालय द्वारा 2018 में शुरू किया गया "इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस" (iDEX) कार्यक्रम भी नई तकनीकों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. इस कार्यक्रम के तहत 1.5 करोड़ रुपये का ग्रांट दिया गया है और इसके लिए 449.62 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है. यह कदम भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगा.