S Jaishankar On Canada And China: इन दिनों भारत में कनाडा के रुख और चाइना के साथ हुए सीमा पर समझौते की बात चल रही है. इस बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर पूणे में आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे और सभी मुद्दों पर चर्चा की. कार्यक्रम में उन्होंने कनाडा पर कड़ा रुख दिखाया है और उसके अधिकारियों को बड़ी सलाह दी. इसी के साथ उन्होंने भारत-चीन सीमा समझौते को लेकर भी बात रखी और बताया कि इसका मतलब ये नहीं की सब ठूक हो गया है. बल्कि, ये पहला कदम है.
विदेश मंत्री एस. जयशंकर पूणे में आयोजित एक कार्यक्रम में पहुंचे हुए थे. यहां उन्होंने भारत-कनाडा के रिश्तों के साथ ही भारत और चीन के बीच सीमा को लेकर हुए समझौते की भी बात की है. उन्होंने कई और मुद्दों पर चर्चा की है. आइये जानें उन्होंने और क्या कहा?
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को स्पष्ट किया कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर गश्त के संबंध में चीन के साथ हुए समझौते का यह मतलब नहीं है कि दोनों देशों के बीच सभी मुद्दे हल हो गए हैं. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि सैनिकों के पीछे हटने से आगे के कदमों पर विचार करने का अवसर मिला है. उन्होंने इस समझौते का श्रेय सेना को दिया, जिसने ‘‘बहुत कठिन परिस्थितियों’’ में कार्य किया.
पुणे में एक कार्यक्रम में जयशंकर ने बताया कि 21 अक्टूबर को हुए समझौते के तहत देमचोक और डेपसांग में गश्त फिर से शुरू की जाएगी. इससे अब हम अगले कदमों पर विचार कर सकते हैं. यह नहीं कह सकते कि सबकुछ सुलझ गया है, लेकिन यह सैनिकों के पीछे हटने का पहला चरण है. जयशंकर ने बताया कि पिछले एक दशक में भारत ने अपनी सीमाओं पर बुनियादी ढांचे में सुधार किया है. जिससे सेना की प्रभावी तैनाती संभव हो पा रही है.
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय संलिप्तता के कनाडा के आरोपों के बीच कनाडा सरकार द्वारा भारतीय राजनयिकों को निशाना बनाए जाने पर अपना विरोध दर्ज कराया. उन्होंने जस्टिन ट्रूडो के नेतृत्व वाली कनाडाई सरकार द्वारा भारतीय राजनयिक को निशाना बनाए जाने की कड़ी आलोचना की है और कहा कि कनाडाई अधिकारियों को अधिक जिम्मेदार और समझदारी भरा दृष्टिकोण अपनाना चाहिए.
एस. जयशंकर पुणे में एक कार्यक्रम के दौरान इस मुद्दे पर कहा कि भारत कनाडाई सरकार के इस रवैये को पूरी तरह से खारिज करता है. जयशंकर ने कहा कि भारत ने लंबे समय से कनाडा में बढ़ते संगठित अपराध पर चिंता जताई थी, जिसे वहां की उदारवादी राजनीति के चलते अनदेखा कर दिया गया.