समलैंगिक विवाह को वैध करने की मांग वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में बीते दिन भी सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से इस विवाह को वैध करार दिए बगैर सामाजिक अधिकार देने के बारे में पूछा।
कोर्ट ने यह पूछा कि, क्या सरकार इस जोड़े को सामाजिक कल्याण के लाभ देने के लिए तैयार है। केंद्र ने इस बीच समलैंगिक विवाह को वैध करने के विरोध में अपनी दलीलें पेश कीं।
केंद्र की तरफ से पैरवी करते हुए सॉलिस्टर जनरल तुषार मेहता ने CJI (Chief Justice of India) धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ से कहा कि इस विवाह के वैध होने से समाज पर बहुत गलत प्रभाव पड़ेगा।
उन्होंने आगे कहा कि कल को भाई और बहन के यौन संबंध को भी वैध करने की भी मांग उठने लगेगी। इस पर CJI ने कहा कि इस पर कोई भी अदालत विचार नहीं कर सकती क्योंकि यह तो वैसे भी अनाचार है।
चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पीठ ने इसके बाद सॉलिस्टर जनरल तुषार मेहता से कहा कि केंद्र सरकार को जल्द ही समलैंगिक विवाह को वैध किए बिना ही सामाजिक लाभ देने का हल खोजना चाहिए। इसके लिए केंद्र को उन्होंने 3 मई का समय दिया है।
बता दें कि चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र से यह भी पूछा कि क्या समलैंगिक जोड़ों को बीमा पॉलिसी में साथी को नामित करने, ज्वाइंट बैंक अकाउंट खोलने समेत कई दूसरी वित्तीय सुरक्षा दी जा सकती है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार के विभिन्न मंत्रालय भी इन चीजों पर विचार कर सकते हैं।
वहीं केंद्र सरकार ने अपनी दलील में इस तरह के विवाह (समलैंगिक विवाह) को वैध करने को गलत ठहराते हुए कहा कि इससे विभिन्न अन्य कानूनों के 160 प्रावधानों पर प्रभाव पड़ेगा। सॉलिस्टर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कोर्ट को इस मामले की व्याख्या नहीं करनी चाहिए, क्योंकि एक मामले को सुलझाते- सुलझाते कई और अन्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। First Updated : Friday, 28 April 2023