Same-Sex Marriage: समलैंगिक विवाह के खिलाफ केंद्र, कहा-इसे कानूनी मान्यता देना आपका काम नहीं

सुप्रीम कोर्ट द्वारा समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के केंद्र सरकार खिलाफ है। इसे लेकर सर्वोच्च न्यायालय में आज एक याचिका दायर की गई है।

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केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक विवाह का विरोध किया है। इस संबंध में केंद्र ने आज सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट केंद्र की याचिका पर सुनवाई करने के लिए तैयार हो गया है। सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की बेंच 18 अप्रैल को इस याचिका पर सुनवाई करेंगी। 

सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक विवाह की वैधता की मांग पर विवाद बढ़ता ही जा रहा है। साथ ही इसकी मांग को लेकर सवाए उठाए जा रहे है। केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में समलैंगिक विवाह का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता देना सुप्रीम कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है।

केंद्र के अलावा गुजरात, मध्य प्रदेश सरकार ने भी वैधता की मांग वाली याचिकाओं के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अर्जी दी है। केंद्र सरकार, गुजरात सरकार और मध्य प्रदेश सरकार ने कोर्ट में दायर याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई करने की मांग की है। केंद्र सरकार ने दायर याचिकाओं के विरोध में एक हलफनामे में कहा कि यह 'शहरी एलीट टाइप' कॉन्सेप्ट है। 

विवाह सिर्फ पुरुष-महिला के बीच हो सकता है

केंद्र सरकार ने कहा कि समलैंगिक विवाह को मान्यता न देने का विकल्प विधायी नीति का एक पहलू है। अदालत की मदद से समलैंगिक विवाह को मान्यता नहीं दी जा सकती। यह संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है न कि सुप्रीम कोर्ट के। केंद्र ने कहा कि विवाह केवल एक पुरुष और एक महिला के बीच हो सकता है। केंद्र ने तर्क देते हुए कहा कि 'संसद की जवाबदेही नागरिकों के प्रति है और इसे लोकप्रिय इच्छा के अनुसार काम करना चाहिए, खासकर जब पर्सनल लॉ की जाती है।' 

18 अप्रैल को होगी सुनवाई 

सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने के लिए 5 जजों की संविधान पीठ का गठन किया है। इसमें सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, एस रवींद्र भट, पीएस नरसिम्हा और हेमा कोहली शामिल हैं। 18 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की पीठ इस मामले की सुनवाई करेंगी।  First Updated : Monday, 17 April 2023