संदीप दीक्षित ने लिया 'मां की हार' का बदला, जानिए केजरीवाल को कैसे पहुंचाई इतनी बड़ी चोट
आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल की हार की वजह कोई और नहीं बल्कि कांग्रेस उम्मीदवार संदीप दीक्षित रहें. प्रवेश वर्मा ने भले ही नई दिल्ली विधानसभा सीट से चुनाव जीत लिया हो लेकिन इस जीत की मुख्य वजह संदीप दीक्षित रहे हैं. इस जीत के साथ संदीप दीक्षित ने साल 2013 में अपनी मां शीला दीक्षित की हार का बदला ले लिया है.

दिल्ली में विधानसभा चुनाव 2025 की सबसे हॉट सीट नई दिल्ली पर बहुत बड़ा उलटफेर हुआ है. इस चुनाव में कांग्रेस ने वो कर दिखाया है, जो पिछले दो चुनावों में नहीं कर पाई थी. नई दिल्ली सीट पर कभी शीला दीक्षित को हराकर अरविंद केजरीवाल ने इतिहास रचा था, जीत के बाद केजरीवाल सीएम बने थे, लेकिन इस बार वो पटखनी खा गए, नई दिल्ली सीट से केजरीवाल हार गए.
आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल की हार की वजह कोई और नहीं बल्कि कांग्रेस उम्मीदवार संदीप दीक्षित रहें. प्रवेश वर्मा ने भले ही नई दिल्ली विधानसभा सीट से चुनाव जीत लिया हो लेकिन इस जीत की मुख्य वजह संदीप दीक्षित रहे हैं. इस जीत के साथ संदीप दीक्षित ने साल 2013 में अपनी मां शीला दीक्षित की हार का बदला ले लिया है. साल 2013 में इस सीट पर ही अरविंद केजरीवाल ने शीला दीक्षित को चुनावों में मात दी थी. संदीप दीक्षित चुनाव नहीं जीत सके हों लेकिन वह केजरीवाल की हार की वजह बनें हैं.
नई दिल्ली विधानसभा सीट पर प्रवेश वर्मा को 30 हजार 88 वोट मिले और 4089 वोटों से जीत मिली. वहीं अरविंद केजरीवाल को 25999 वोट मिले हैं और 4089 वोटों से हार मिली. कांग्रेस उम्मीदवार संदीप दीक्षित को 4568 वोट मिले. अगर आप और कांग्रेस लोकसभा चुनाव की तरह गठबंधन के साथ विधानसभा चुनाव में उतरती तो नई दिल्ली सीट पर नतीजे कुछ और होते.
जब शीला दीक्षित को निशाने पर लेकर केजरीवाल ने शुरू की थी राजनीति
दरअसल जब केजरीवाल ने अपनी राजनीति की शुरुआत की तो दिल्ली को उसका केंद्र बनाया, उस समय की सीएम और कांग्रेस नेता शीला दीक्षित को निशाने पर लिया. कई गंभीर आरोप लगाए, जिसमें उनके घर तक का मामला शामिल था.केजरीवाल ने शीला दीक्षित पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था. उनके खिलाफ निजी अटैक भी किए थे, इसके बाद जब चुनाव हुआ तो केजरीवाल ने शीला दीक्षित के खिलाफ पर्चा भरा और जीत कर सीएम बन गए. शीला दीक्षित को दिल्ली की तस्वीर बदलने का श्रेय दिया जाता है. केजरीवाल से मिली ये हार शीला दीक्षित के लिए अपमानजनक माना जाता रहा था.
संदीप दीक्षित को ऐसे मिला बदला लेने का मौका
शीला दीक्षित हार गईं, अगले लोकसभा चुनाव में संदीप दीक्षित भी हार गए. सत्ता में आने के बाद केजरीवाल, शीला दीक्षित के खिलाफ कोई भी आरोप साबित नहीं कर पाए, इसके लिए उनकी हमेशा आलोचना होती रहती है. इस बार जब दिल्ली विधानसभा चुनाव का समय आया, तब संभावना जताई गई कि कांग्रेस और आप गठबंधन में लड़ेगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं, दोनों अकेले मैदान में उतरी और संदीप दीक्षित ने नई दिल्ली सीट पर दावा ठोक दिया. कांग्रेस से संदीप दीक्षित को टिकट मिला और फिर संदीप दीक्षित ने केजरीवाल को टारगेट पर ले लिया.
कैसे लिया संदीप दीक्षित ने मां के अपमान का बदला
नई दिल्ली सीट से पर्चा दाखिल करने के बाद संदीप दीक्षित आक्रमक तरीके से चुनाव प्रचार में जुट गए, डोर टू डोर कैंपेन किया, लोगों को शीला दीक्षित के काम को याद दिलाया और केजरीवाल को घेरते रहे. संदीप दीक्षित के सामने केजरीवाल और प्रवेश वर्मा थे, लेकिन उन्होंने कभी यह महसूस नहीं होने दिया कि वो हारी हुई लड़ाई लड़ रहे हैं, इसका परिणाम ये हुआ कि कांग्रेस के जो समर्थक थे, वो कांग्रेस के साथ रहे. केजरीवाल के सामने सत्ता विरोधी लहर थी, प्रवेश वर्मा भी मजबूती से लड़े और संदीप दीक्षित ने वो वोट काट लिया, जितने से लगभग केजरीवाल को हार नसीब हुई.
नई दिल्ली सीट संदीप दीक्षित के कारण कैसे हारे केजरीवाल
नई दिल्ली सीट पर 2025 के विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल को 25999 वोट मिले, वहीं विजेता उम्मीदवार भाजपा के प्रवेश वर्मा को 30088 वोट मिले. केजरीवाल 4089 के अंतर से प्रवेश वर्मा से हारे हैं. लगभग इसी अंतर का वोट संदीप दीक्षित काट ले गए. संदीप दीक्षित को नई दिल्ली सीट पर 4568 वोट मिले. यानि अगर केजरीवाल, कांग्रेस के साथ होते, गठबंधन में होते तो शायद ये सीट नहीं हारते, मुकाबला टक्कर का होता और केजरीवाल जीत सकते थे.
हार के बाद क्या बोले संदीप दीक्षित?
दिल्ली चुनाव के नतीजों में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन नई दिल्ली सीट से प्रत्याशी संदीप दीक्षित ने कहा कि हम इस बात को स्वीकार करते हैं कि हमारी पार्टी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई. शायद लोगों को हम पर भरोसा नहीं हुआ. दिल्ली के लोगों को ऐसा लगा होगा कि शायद हम उन्हें अच्छी सरकार नहीं दे पाएंगे, इसलिए उन्होंने हमें चुनना जरूरी नहीं समझा.