क्या है संजौली मस्जिद विवाद? जिसकी सदन तक गूंजी विवाद की कहानी
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में इन दिनों संजौली मस्जिद को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है. यह विवाद मस्जिद के कंस्ट्रक्शन को लेकर है. प्रशासन का कहना है कि परमिशन लिए बैगेर 5 मंजिला इमारत खड़ी कर दी गई है. वहीं इस मामले को लेकर सरकार में मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने कहा है कि यह मामला धार्मिक नहीं है बल्कि वैध और अवैध का है. अब इस मामले में राजनीतिक बयानबाजी भी देखने को मिल रहा है.
हिमाचल प्रदेश के शिमला में संजौली मस्जिद को लेकर भारी बवाल मचा हुआ है. देश के सबसे शांत राज्य में गिने जाने वाले हिमाचल प्रदेश में इन दिनों बड़ा विवाद देखने को मिल रहा है.शिमला की संजौली मस्जिद को लेकर हिंदू संगठनों और स्थानीय निवासियों के सदस्यों ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और उसे गिराने की मांग कर रहे हैं. सभी लोग इस मस्जिद को अवैध बता रहे हैं और उसे गिराने के प्रदर्शन कर रहे हैं. यही नहीं, हिंदू संगठन से जुड़े लोगों की यह भी मांग है कि बाहरी राज्यों से आने वाले लोगों पर पुलिस नजर रखे और उनकी सही तरह से वेरिफिकेशन की जाए.
शिमला में तेजी से बाहरी राज्यों से आने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है. इससे इलाके का माहौल खराब हो रहा है. इस मस्जिद को लेकर राजनीतिक गलियारों में भी बयानबाजी देखने को मिल रहा है. ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने सवाल उठाया कि इस मुद्दे को इतने लंबे समय तक नजरअंदाज क्यों किया गया, उन्होंने कहा, 'अवैध तो अवैध है, चाहे वह मंदिर हो या मस्जिद' बुधवार को हिमाचल प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस नेता अनिरुद्ध सिंह और हरीश जनारथा के बीच गरमागरम बहस के बाद ये विवाद और बढ़ गया है. तो चलिए जानते है कि आखिर क्यों इसको लेकर बवाल मचा हुआ है और इसकी कहानी क्या है.
पहले जानिए शिमला की संजौली मस्जिद की पूरी कहानी
दरअसल, ये मस्जिद शिमला के संजौली इलाके में स्थित है. संजौली हिमाचल विधानसभा की दो सीटों (शिमला सदर और कुसुमटी) से घिरा हुआ है. संजौली में एक चौराहे पर यह मस्जिद स्थित है जो 5 मंजिला है. हालांकि पहले ये मस्जिद एक मंजिला थी. इस मस्जिद को लेकर मुस्लिम संगठन को कहना है कि इसका निर्माण 1950 से पहले किया गया है. वहीं हिंदू संगठन का कहना है कि इसका निर्माण 1996 के आसपास हुआ है. बता दें कि शिमला में एनजीटी ने ढाई मंजिल से अधिक निर्माण की इजाजत नहीं दी थी लेकिन बावजूद इसके यहां पर कांग्रेस और भाजपा के राज में इस मस्जिद का निर्माण कार्य चलता रहा और कोई कार्रवाई भी नहीं की गई. इस मस्जिद को लेकर मुस्लिम संगठन का कहना है कि यह वक्फ की जमीन पर बनी है जबकि मंत्री अनिरुद्ध सिंह का कहना है कि मस्जिद का निर्माण सरकारी जमीन पर किया गया है.
शिमला की संजौली मस्जिद का क्या है विवाद
शिमला की संजौली मस्जिद की विवाद की कहानी दो गुटों की लड़ाई से शुरू हुई जो अब तूल पकड़ता जा रहा है. 4 दिन पहले 4 मुस्लिम युवकों ने संजौली बाजार के एक स्थानीय दुकानदार यशपाल की बेरहमी से पिटाई कर दी. जानकारी के मुताबिक इन लोगों ने दुकानदार को इतनी बेरहमी से मारा कि उसके सिर में 14 टांके लगे हैं हालांकि पुलिस ने इस मामले में कोई सख्त कार्रवाई नहीं की. इस वजह से हिंदू संगठनों ने संजौली मस्जिद के खिलाफ प्रदर्शन किया और अवैध बताकर मस्जिद को गिराने की बात कही. हालांकि, जब तक इस मामले में पुलिस कुछ कहती है इसमें राजनीतिक तड़का लग गया और विवाद बढ़ गया.
अनिरुद्ध सिंह ने सदन में उठाया मुद्दा
संजौली मस्जिद विवाद का हंगामा अब सदन तक पहुंच चुका है. सदन में कैबिनेट मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने इस मुद्दे को उठाया है. उन्होंने कहा कि संजौली मस्जिद को लेकर जो प्रदर्शन हुआ है, वो बिल्कुल सही हुआ है. मस्जिद सरकारी जमीन पर बनी है और कोर्ट में इसको लेकर केस भी चल रहा है. इसके अलावा उन्होंने ये भी कहा कि बाहर से आकर लोग यहां का माहौल खराब कर रहे हैं जिसमें से बहुत से बांग्लादेश के भी हैं. इस दौरान सदन में उन्होंने अवैध मस्जिद को गिराने की भी बात कही. अनिरुद्ध सिंह के इस बयान पर AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने निशाना साधा और कहा कि हिमाचल सरकार भाजपा की भाषा बोल रही है.