Electoral Bond: भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने गुरुवार को कहा कि उसने सुप्रीम कोर्ट में एक अनुपालन हलफनामा दायर किया है जिसमें इलेक्टोरल बॉन्ड का पूरा डेटा भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) को दे दिया गया है. एसबीआई ने कहा कि हमने पूरा डिटेल चुनाव आयोग को वैसे ही सौंपा है जैसा बताया गया था.
गौरतलब है कि, बीते सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई बैंक को फटकार लगाते हुए इलेक्टोरल बॉन्ड से संबंधित सभी डिटेल्स का खुलासा करने का निर्देश दिया है.
SBI चेयरमैन दिनेश कुमार खारा ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा कि हमने कोर्ट के आदेश के अनुसार इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी सभी जानकारी 21 मार्च को शाम 5 बजे से पहले ही उपलब्ध करा दी है. एसबीआई ने कहा कि इस जानकारी में खरीदार के नाम, उसका मूल्य और विशिष्ट संख्या, उसे भुगतान करने वाले दल का नाम, राजनीतिक दल के बैंक खाते के आखिरी चार अंक, और बॉन्ड के मूल्य और विशिष्ट संख्या की जानकारी शामिल है.
पार्टी | कंपनियों के नाम | कितना दिया चंदा |
भाजपा |
➤ मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर ➤ क्विक सप्लाई चेन प्राइवेट लिमिटेड ➤ वेदांता लिमिटेड कंपनी |
➤ 584 करोड़ ➤ 375 करोड़ ➤ 230.5 करोड़ |
टीएमसी |
➤ फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज़ ➤ हल्दिया एनर्जी ➤ धारीवाल इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड |
➤ 542 करोड़ ➤ 281 करोड़ ➤ 90 करोड़ |
कांग्रेस |
➤ वेदांता लिमिटेड ➤ वेस्टर्न यूपी पावर ट्रांसमिशन ➤ एमकेजे एंटरप्राइजेज |
➤ 125 करोड़ ➤ 110 करोड़ ➤ 91.6 करोड़ |
भारत राष्ट्र समिति |
➤ मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर ➤ यशोदा हॉस्पिटल ➤ चेन्नई ग्रीन वुड्स |
➤ 195 करोड़ ➤ 94 करोड़ ➤ 50 करोड़ |
बता दें कि इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के एक महीने बाद स्टेट बैंक ने इसकी पूरी जानकारी नहीं जारी कर पाया था. जिसके बाद कोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक को फटकार लगाई. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने पूछा था कि क्या बैंक को कोर्ट का फैसला समझ नहीं आया? "सोमवार की सुनवाई में, मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने बैंकों और कंपनियों के पक्ष से प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों को सभी बॉन्ड से संबंधित डेटा को 21 मार्च को शाम 5 बजे से पहले एसबीआई को जारी करने के लिए निर्देश दिया. कोर्ट के इस आदेश के बाद, एसबीआई ने इस डेटा को गुरुवार को चुनाव आयोग को दिया."
अदालत ने 15 फरवरी को इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया था. एक ऐतिहासिक फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने घोषणा करते हुए कहा कि, चुनावी बांड योजना संविधान के तहत सूचना के अधिकार और भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करती है. इस बात पर जोर देते हुए कि काले धन पर अंकुश लगाने की योजना का उद्देश्य सूचना अधिकारों के उल्लंघन को उचित नहीं ठहराता है. First Updated : Saturday, 30 March 2024