पत्नी के त्याग को पहचानें...SC ने शादीशुदा महिलाओं के लिए सुनाया बड़ा फैसला, पुरुषों को दी ये नसीहत

सुप्रीम कोर्ट ने शादीशुदा महिलाओं को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने महिलाओं के अधिकारों पर प्रकाश डालते हुए कहा है कि वे बिना किसी स्वार्थ के परिवार के लिए दिनभर काम करती हैं. अब समय आ गया है कि पुरुष महिलाओं के त्याग को पहचाने. तो चलिए जानते हैं कोर्ट ने क्या क्या कहा है.

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भारतीय परिवार में शादीशुदा महिलाओं के घर परिवार को संभालने में किए गए त्याग और योगदान को हमेशा से नजरअंदाज किया जाता रहा है. इस बीच आज सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के हित में बेहद जरूरी बात कही है और पतियों को नसीहत भी दी. सुप्रीम कोर्ट ने शादीशुदा महिलाओं के अधिकार को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने यह फैसला तलाकशुदा महिलाओं के गुजारा भत्ते की मांग के पक्ष में सुनवाई के दौरान ये टिप्पणी दी है.

न्यायमूर्ती बीवी नागार्तना और न्यायमूर्ती ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि अब समय आ गया है की पुरुषों को महिलाओं के त्याग और परिवार के प्रति उनकी भूमिका को पहचाने. परिवार में महिलाओं के भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कोर्ट ने कहा कि, पतियों को अपनी पत्नी के लिए वित्तीय सहायता देना चाहिए और इसके लिए एक ज्वाइंट खाता खोलना चाहिए.

SC ने शादीशुदा पुरुषों को दी नसीहत

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि एक भारतीय शादीशुदा पुरुष को इस तथ्य के प्रति सचेत रहना चाहिए कि उसे अपनी पत्नी को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की आवश्यकता है, क्योंकि उसके पास पैसे कमाने का कोई स्वतंत्र स्रोत नहीं है. अदालत ने यह टिप्पणी एक मुस्लिम व्यक्ति द्वारा धारा 125 सीआरपीसी के तहत अपनी तलाकशुदा पत्नी को अंतरिम भरण-पोषण देने के निर्देश के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई के दौरान की है.

'महिलाओं को वित्तीय सशक्त बनाना जरूरी'

न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने व्यक्ति की याचिका खारिज करते हुए कहा कि गुजारा भत्ता मांगने का कानून सभी महिलाओं के लिए मान्य होगा, चाहे वो किसी भी धर्म की हो. अदालत ने गृहिणी के अधिकारों पर जोर देते हुए कहा कि, वे बिना किसी स्वार्थ और बदले की उम्मीद से परिवार के लिए दिनभर काम करती हैं. कोर्ट ने आगे कहा कि, मेरा मानना ​​है कि एक भारतीय पुरुषों को इस बात के प्रति सचेत होना चाहिए कि उसे अपनी पत्नी को वित्तीय रूप से सशक्त बनाना होगा और उसकी देखभाल करनी होगी.

गृहिणी की स्थिति सुरक्षित करना जरूरी

अदालत ने कहा, महिलाओं के पास रुपये कमाने के लिए स्वतंत्र रूप से कोई भी साधन नहीं है. ऐसे में सबसे पहले व्यक्तिगत जरूरतों के लिए वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराने होंगे.  पीठ ने कहा कि इस तरह के वित्तीय सशक्तिकरण से गृहिणी को परिवार में ज्यादा सुरक्षित स्थिति प्राप्त होगी. अदालत ने कहा कि, अगर महिलाओं को आय वित्तीय रूप से सशक्त बनाएंगे तो परिवार में गृहिणी की स्थिति सुरक्षित रहेगी.

First Updated : Wednesday, 10 July 2024