सिफारिश के बाद भी जजों की नियुक्ति क्यों नहीं हुई SC ने केंद्र से पूछा सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार से जजों की नियुक्ति न होने पर केंद्र से जवाब मांगा है. कोर्ट ने कहा कि वह उन उम्मीदवारों की सूची सौंपे जिनके नाम उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए कॉलेजियम द्वारा दोहराए गए थे. कोर्ट ने केंद्र से एक चार्ट देने को कहा है जिसमें बताया गया है कि किस हद तक दोहराए गए नामों पर कार्रवाई की गई है.

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सुप्रीम कोर्ट ने लंबित न्यायिक नियुक्तियों पर केंद्र सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है. सर्वोच्च न्याल ने केंद्र को आदेश दिया है कि वह कॉलेजियम द्वारा अनुशंसित लंबित न्यायिक नियुक्तियों की संख्या और स्थिति के साथ-साथ देरी के कारणों की जानकारी उपलब्ध कराये. परंपरा के अनुसार, अगर निर्णय दोहराया गया है तो सरकार न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम की सिफारिश को स्वीकार करने के लिए बाध्य है. कॉलेजियम में भारत के मुख्य न्यायाधीश सहित सुप्रीम कोर्ट के पांच वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल होते हैं.

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा, 'सरकार को यह स्पष्ट करना होगा कि जहां तक ​​दोहराए गए नामों का सवाल है, इसमें कठिनाई क्या है. हमें एक चार्ट दीजिए, जिसमें बताया गया है कि किस हद तक दोहराए गए नामों पर कार्रवाई की गई है.'

प्रधान न्यायाधीश ने मांगा चार्ट

अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने पीठ से कहा कि दोहराए गए नामों पर निर्णय लेने के लिए समय सीमा तय की जा सकती है. 'ऐसा नियम होना चाहिए अगर वे एक निश्चित समय तक सिफारिशों को मंजूरी नहीं देते हैं तो उन्हें स्वीकार कर लिया गया माना जाएगा.' इसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी से केंद्र के पास लंबित दोहराए गए नामों की सूची मांगी. प्रधान न्यायाधीश ने कहा, 'हमें स्थिति का चार्ट दीजिए और बताइए कि कठिनाई क्या है. देखिए, कॉलेजियम कोई सर्च कमेटी नहीं है. अगर इसकी स्थिति महज सर्च कमेटी की होती, तो आपके पास विवेकाधिकार होता. विचार अलमारी में छिपे रहस्यों को उजागर करने का नहीं, बल्कि आगे बढ़ने का है.'

सीजेआई ने केंद्र से पूछा ये सवाल

सीजेआई ने कहा, अगर आप कृपया कॉलेजियम द्वारा दिए गए नामों की सूची बना सकते हैं और बता सकते हैं कि यह लंबित क्यों है और किस कारण लंबित है. पीठ ने कहा कि कुछ नियुक्तियां अभी प्रक्रिया में हैं और 'हमें उम्मीद है कि वह बहुत जल्दी हो जाएगी. इसके बाद अटॉर्नी जनरल द्वारा स्थगन के अनुरोध को ध्यान में रखते हुए, इस  जनहित याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी. बता दें कि इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ कर रही है जिसमें न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे.

इस याचिका पर हुई थी सुनवाई

यह याचिका वकील हर्ष सिंघल द्वारा दायर की गई थी. इस याचिका में कॉलेजियम द्वारा सिफारिश किए गए नामों की नियुक्ति को अधिसूचित करने के लिए केंद्र को निश्चित समय सीमा देने की मांग की गई थी. इसके अलावा, झारखंड सरकार ने भी याचिका दायर की गई थी, जिसमें जस्टिस रामचंद्र राव को हाई कोर्ट के चीउ जस्टिस के रूप में नियुक्त करने के लिए कॉलेजियम द्वारा की गई सिफारिश को मंजूरी नहीं देने के लिए केंद्र के खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्रवाई की मांग की गई थी.

First Updated : Friday, 20 September 2024