Vivek Bindra: मोटिवेशनल स्पीकर विवेक बिंद्रा की बढ़ी मुश्किलें! सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस किया जारी

Vivek Bindra: सुप्रीम कोर्ट ने मोटिवेशनल स्पीकर विवेक बिंद्रा से जुड़े मामले में सोमवार को एक नोटिस जारी किया है. यह नोटिस विवेक और उनकी कंपनी बड़ा बिजनेस द्वारा कथित घोटाले की जांच के लिए सीबीआई की एक विशेष जांच टीम गठित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी. 

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Supreme Court On Vivek Bindra Scam Case: सुप्रीम कोर्ट ने मोटिवेशनल स्पीकर विवेक बिंद्रा से जुड़े मामले में सोमवार को एक नोटिस जारी किया है. यह नोटिस विवेक और उनकी कंपनी बड़ा बिजनेस द्वारा कथित घोटाले की जांच के लिए सीबीआई की एक विशेष जांच टीम गठित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी. न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने सोमवार को याचिका पर केंद्र और अन्य से जवाब मांगा. अदालत ने 26 फरवरी के आदेश पर कहा, "जारी नोटिस छह सप्ताह में वापस किया जा सकता है."

बता दें कि यह याचिका शुभम चौधरी और अन्य ने दायर की थी, जिसमें दावा किया गया था कि उन्होंने अपनी मेहनत की कमाई विवेक बिंद्रा की बिजनेस कंपनी में जमा किया था. याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह, अधिवक्ता सुरेशन पी, विकास नागवान और योगेश अग्रवाल उपस्थित हुए.

विशेष जांच टीम गठित करने की मांग

कोर्ट के समक्ष यह दावा किया गया कि इस मुद्दे का राष्ट्रीय प्रभाव है क्योंकि शिकायतकर्ता देश के विभिन्न राज्यों से हैं. कई शिकायतकर्ता पहले ही स्थानीय पुलिस को लिखित शिकायतें दे चुके हैं. याचिकाकर्ताओं ने केंद्रीय जांच ब्यूरो की एक विशेष जांच टीम गठित करने के लिए भारत सरकार के गृह मंत्रालय को निर्देश देने की अपील की. विवेक बिंद्रा और बड़ा बिजनेस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किए गए बड़े पैमाने पर देशव्यापी घोटाले की जांच करेगी, जिसके तहत उसने याचिकाकर्ताओं और अन्य आम जनता को धोखा दिया है.

याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ताओं और इसी तरह के अन्य व्यक्तियों द्वारा लिखित शिकायतें प्रस्तुत करने के बावजूद भी पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है. किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई. कोई उचित जांच नहीं की गई है. याचिका में आगे कहा गया, किसी भी गवाह का एक भी बयान दर्ज नहीं किया गया है.

आईपीसी की धारा 240 के तहत मामला दर्ज

याचिका के मुताबिक, शिकायतें आईपीसी की धारा 420, 406 के साथ धारा 34 और प्राइज चिट्स की धारा 3 और 4 के तहत प्रथम दृष्टया दंडनीय मामले का खुलासा करती हैं. और मनी सर्कुलेशन स्कीम (प्रतिबंध) अधिनियम, 1978 और इसलिए याचिका में अपील के अनुसार जवाब देने वालों को एक रिट जारी किया जाना आवश्यक है.'' First Updated : Wednesday, 28 February 2024