शरद पवार की वापसी: महाराष्ट्र की राजनीति में फिर से मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंच सकते हैं!, अजित पवार और बीजेपी के बीच टकराव
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शरद पवार की पॉवर पॉलिटिक्स का बड़ा असर दिख रहा है! 84 साल के शरद पवार अपनी आखिरी लड़ाई लड़ रहे हैं और अपनी बेटी सुप्रिया सुले को मुख्यमंत्री बनाने की इच्छा जता रहे हैं. पवार परिवार का प्रभाव लगभग 70 सीटों पर है, जहां शरद और अजित पवार का मजबूत समर्थन है. अजित पवार ने बीजेपी के ध्रुवीकरण के मुद्दों का खुलकर विरोध किया है, जिससे वे विपक्षी खेमे में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.
महाराष्ट्र. महाराष्ट्र में हलचल तेज है. चुनावी परिणामों और राजनीतिक समीकरणों को देखते हुए चर्चा है कि शरद पवार 29 साल बाद फिर से मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंच सकते हैं. सत्ता की चाबी पवार के हाथों में रहने की संभावना से सियासी गलियारों में हलचल बढ़ गई है. 23 नवंबर को महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों के परिणाम घोषित होंगे। सरकार बनाने के लिए 145 विधायकों की जरूरत है.
सरकार गठन की समय सीमा
चुनाव के बाद नई सरकार गठन के लिए केवल 3 दिन का समय होगा, क्योंकि 26 नवंबर को विधानसभा का कार्यकाल समाप्त हो रहा है. अगर इस अवधि में सरकार नहीं बनती, तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है. ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार का हस्तक्षेप बढ़ जाएगा. राजनीतिक दल इसे रोकने के लिए तेजी से गठबंधन बना सकते हैं, और यही मौका शरद पवार को मिल सकता है.
शरद पवार की रणनीति
2019 में राष्ट्रपति शासन लागू होने के दौरान शरद पवार ने महाविकास अघाड़ी सरकार में गृह और वित्त जैसे अहम विभाग अपने पास रखकर अपनी राजनीतिक ताकत दिखाई थी. इस बार भी पवार परिवार महाराष्ट्र की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.
पवार परिवार की चुनावी ताकत
शरद पवार और अजित पवार का प्रभाव लगभग 70 सीटों पर है.
इनमें से 42 सीटों पर दोनों के समर्थकों के बीच सीधा मुकाबला है.
2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान शरद पवार ने 38 और अजित पवार ने 6 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त बनाई थी.
अजित पवार का विरोध और बीजेपी से टकराव
अजित पवार ने चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी के ध्रुवीकरण के मुद्दों का खुलकर विरोध किया. उनकी यह रणनीति उन्हें देवेंद्र फडणवीस और बीजेपी के निशाने पर ले आई. लेकिन इसी सियासी पैंतरेबाजी ने उन्हें मजबूत विपक्ष के रूप में उभारा.
शरद पवार का 'दोस्ती और दुश्मनी का संतुलन'
शरद पवार की राजनीति की सबसे बड़ी खासियत उनकी तटस्थता है. वे न किसी से गहरी दोस्ती रखते हैं, न गहरी दुश्मनी. 2014 में बीजेपी का समर्थन करने वाले पवार ने 2019 में उद्धव ठाकरे के साथ गठबंधन किया. उनके इस रवैये के कारण राजनीतिक पंडित मानते हैं कि वे किसी भी गुट में शामिल हो सकते हैं. इस बार महाविकास अघाड़ी और महायुति, दोनों ने मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया है. यह स्थिति शरद पवार के लिए एक अवसर हो सकती है.
शरद पवार की सक्रियता और संकेत
84 वर्षीय शरद पवार ने इस चुनाव में 55 से अधिक रैलियां कीं. अपनी रैलियों में उन्होंने महाराष्ट्र को नई दिशा देने की बात पर जोर दिया. इस्लामपुर की एक रैली में उन्होंने जयंत पाटिल को भविष्य के लिए तैयार रहने की सलाह देकर राजनीतिक अटकलों को हवा दी. इससे यह संकेत मिलते हैं कि पवार किसी बड़ी योजना पर काम कर रहे हैं.
1995 के बाद मुख्यमंत्री पद से दूरी
शरद पवार 1995 में चुनाव हारने के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी तक नहीं पहुंचे. हालांकि, वे 4 बार किंगमेकर की भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पार्टी के छगन भुजबल और अजित पवार ने कई बार उपमुख्यमंत्री पद संभाला है.
चुनावी मुकाबला: शरद बनाम अजित
शरद पवार महाविकास अघाड़ी के बैनर तले 89 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं.
इनमें से 42 सीटों पर उनका मुकाबला अजित पवार गुट से है. अजित पवार लगभग 60 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं, जहां उनका मुख्य मुकाबला कांग्रेस से है.