महाराष्ट्र. महाराष्ट्र में सीएम कौन बनेगा अभी तक इसकी रार खत्म नहीं हुई. इस पद के लिए सस्पेंस बना हुआ है। मुंबई से दिल्ली तक इस पहेली को सुलझाने को लेकर की गई बैठकों का नतीजा भी जीरो ही निकला है अभी तक. इसी बीच एकनाथ शिंदे ने एक नया रहस्य बना दिया है. उन्होंने अचानक सतारा दौरा करके और शरद पवार के गुट के साथ मुलाकात करके मामला और गंभीर बना दिया है। शिंदे ने यहां पवार गुट के नेता जितेंद्र अव्हाड से मीटिंग की. सियासी पंडित इसके बहुत ही ज्दाया उल्टे सीधे मायने निकाल रहे हैं. 

क्या शिंदे नाराज हैं?

एकनाथ शिंदे की सतारा यात्रा और जितेंद्र अव्हाड से मुलाकात के बाद उनके नाराज होने की अटकलें तेज हो गई हैं। अव्हाड ने इस मुलाकात को निजी कारणों से जुड़ा बताया, लेकिन राजनीतिक हलकों में इस मुलाकात को अलग नजरिए से देखा जा रहा है। शिंदे के समर्थकों और शिंदे गुट के विधायकों ने उनकी नाराजगी की बात को खारिज करते हुए बताया कि वे स्वास्थ्य संबंधी कारणों से सतारा गए हैं।

सतारा दौरे के पीछे क्या है रणनीति?

जितेंद्र अव्हाड से मुलाकात के तुरंत बाद शिंदे ने सतारा जिले के अपने गांव का दौरा किया और वहां दो दिन रुकने का फैसला किया। इस दौरान किसी भी राजनीतिक बैठक की संभावना नहीं है। हालांकि, सियासी विश्लेषक इसे सरकार गठन में देरी और संभावित राजनीतिक असंतोष के संकेत के रूप में देख रहे हैं। शिंदे गुट के विधायक उदय सामंत ने उनके स्वास्थ्य का हवाला देकर नाराजगी की बात को खारिज किया, लेकिन इस कदम ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

क्या शिंदे देंगे बीजेपी को झटका?

महाराष्ट्र में वर्तमान सियासी स्थिति 2019 के राजनीतिक घटनाक्रम की याद दिला रही है। उस समय बीजेपी और शिवसेना ने गठबंधन में चुनाव लड़ा था, लेकिन सीएम पद पर सहमति नहीं बनने के कारण उद्धव ठाकरे ने बीजेपी से अलग होकर शरद पवार की एनसीपी और कांग्रेस के साथ सरकार बनाई थी। अब जब शिंदे का रुख अस्पष्ट है, तो यह सवाल उठ रहा है कि क्या वे भी बीजेपी को झटका देकर उद्धव ठाकरे की राह पर चलेंगे।

2019 और 2024 में बड़ा अंतर

हालांकि, 2019 और 2024 की स्थिति में बड़ा अंतर है। इस बार बीजेपी के पास अकेले 132 सीटें हैं और बहुमत के लिए जरूरी 145 के आंकड़े के करीब है। दूसरी ओर, शिवसेना और एनसीपी के गुटों में बंटवारा हो चुका है। ऐसे में शिंदे के लिए किसी भी नई राजनीतिक समीकरण को साधना आसान नहीं होगा। अगर वे कांग्रेस और एनसीपी के दोनों गुटों के साथ आते भी हैं, तो उन्हें बहुमत के लिए उद्धव ठाकरे के समर्थन की जरूरत पड़ेगी, जो फिलहाल मुश्किल दिख रहा है।

शिंदे के सामने चुनौती

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि एकनाथ शिंदे के सामने इस समय बड़ी चुनौती है। बीजेपी के साथ उनका गठबंधन फिलहाल बरकरार है, लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर असमंजस और एनसीपी नेताओं से मुलाकात ने बीजेपी को असहज कर दिया है। ऐसे में आने वाले दिनों में महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद और सरकार गठन को लेकर सस्पेंस अभी बरकरार है। एकनाथ शिंदे के कदम और बीजेपी के प्रति उनका रुख आने वाले समय में महाराष्ट्र की राजनीति की दिशा तय करेंगे।