औरंगजेब की कब्र को नष्ट करने की मांग, शिवसेना सांसद ने Lok Sabha में उठाया बड़ा सवाल
शिवसेना सांसद नरेश म्हस्के ने लोकसभा में औरंगजेब की कब्र को नष्ट करने की मांग की है, उनका कहना है कि औरंगजेब जैसे शासक का स्मारक देश के लिए अपमानजनक है. इस पर विवाद तब और बढ़ा जब समाजवादी पार्टी के विधायक ने औरंगजेब की तारीफ की, जिससे राजनीति में नई गर्मी आ गई. क्या ये कदम सही होगा? जानिए इस मुद्दे पर क्या हो रही है बहस.

Destruction of Aurangzeb Tomb: लोकसभा में बुधवार को एक विवादास्पद मुद्दा उठाते हुए, शिवसेना के सांसद नरेश म्हस्के ने महाराष्ट्र के खुल्दाबाद में मुगल सम्राट औरंगजेब की कब्र को नष्ट करने की मांग की. उनका कहना था कि औरंगजेब जैसे क्रूर शासक का स्मारक भारत में कैसे संरक्षित किया जा सकता है.
मुगल शासक की क्रूरता पर सवाल
नरेश म्हस्के ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित 3,691 स्मारकों और कब्रों में से 25 प्रतिशत मुगलों और ब्रिटिश अधिकारियों की हैं, जिनका इतिहास भारत की संस्कृति और परंपराओं के खिलाफ रहा है. उन्होंने विशेष रूप से औरंगजेब का नाम लिया, जिन्हें वे एक अत्याचारी शासक मानते हैं. उनका कहना था कि औरंगजेब ने छत्रपति संभाजी महाराज की हत्या की थी और हिंदू मंदिरों को नष्ट किया था. इसके अलावा, उन्होंने सिख गुरुओं की हत्या भी की थी.
लोकसभा में उठाया मुद्दा
ठाणे से लोकसभा सांसद नरेश म्हस्के ने शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाया और कहा कि औरंगजेब जैसे व्यक्ति का स्मारक देश के लिए अपमानजनक है. उनका मानना है कि इस तरह के स्मारकों को नष्ट कर देना चाहिए. म्हस्के ने एएसआई द्वारा संरक्षित औरंगजेब की कब्र को लेकर सवाल उठाया और कहा कि ऐसे स्मारकों को संरक्षित करने का कोई औचित्य नहीं है.
औरंगजेब पर विवाद
मुगल सम्राट औरंगजेब पर विवाद हाल ही में तब फिर से गहरा गया, जब समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आज़मी ने औरंगजेब की तारीफ की थी. आज़मी ने औरंगजेब के शासनकाल को महान बताते हुए कहा था कि उस समय भारत की सीमाएं अफगानिस्तान और म्यांमार तक फैली हुई थीं. इसके अलावा, उन्होंने भारत की जीडीपी को भी 24 प्रतिशत बताया और इसे सोने की चिड़ीया कहा.
आज़मी की यह टिप्पणी विवादों का कारण बनी, क्योंकि छत्रपति शिवाजी महाराज और छत्रपति संभाजी महाराज के समर्थकों ने इसे उनकी विरासत का अपमान माना. खासकर, छत्रपति संभाजी महाराज पर आधारित फिल्म 'छावा' के रिलीज होने के बाद यह विवाद और भी बढ़ गया था. इस फिल्म में दिखाया गया था कि कैसे औरंगजेब के कमांडर ने छत्रपति संभाजी महाराज को पकड़कर उन्हें शहीद किया.
बीआरएस और कांग्रेस का विरोध
इस दौरान बीआरएस और कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने औरंगजेब पर की गई टिप्पणी का विरोध किया था. बीआरएस के नेताओं ने इसे "राजनीतिक" और "हिंदू भावनाओं" को आहत करने वाली टिप्पणी बताया. कांग्रेस ने इसे असंवेदनशील बताया और कहा कि ऐसी टिप्पणियां देश की सामाजिक एकता को नुकसान पहुंचा सकती हैं.
क्या औरंगजेब का स्मारक सचमुच नष्ट किया जाए?
यह मुद्दा देशभर में विवादों का कारण बन चुका है. जहां एक ओर कुछ लोग औरंगजेब के शासन को नकारात्मक मानते हैं, वहीं दूसरे पक्ष का कहना है कि इतिहास से हमें कुछ सीखने की जरूरत है, और स्मारकों को नष्ट करने के बजाय उनका सम्मान करना चाहिए. इस मुद्दे को लेकर राजनीतिक दलों में भी गंभीर मतभेद देखने को मिल रहे हैं.
औरंगजेब की कब्र को नष्ट करने की मांग अब केवल एक राजनीतिक बयान नहीं, बल्कि समाज में गहरी बहस का विषय बन गई है. यह सवाल उठता है कि क्या हमें इतिहास के अंधेरे पक्ष को नष्ट करके उसे भूल जाना चाहिए, या फिर हमें उसे समझकर उसकी सही व्याख्या करनी चाहिए? अब देखना होगा कि इस विवाद का अंत किस दिशा में होता है.