कर्नाटक की भ्रष्टाचार निरोधक इकाई ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ एक मामला दर्ज किया है. यह मामला मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) द्वारा भूमि आवंटन से जुड़ा है. अदालत के आदेश के बाद यह कदम उठाया गया है, जिसमें आरोप है कि सिद्धारमैया की पत्नी ने नियमों का उल्लंघन करते हुए प्रीमियम संपत्तियां प्राप्त की हैं.
FIR में सिद्धारमैया को पहले आरोपी के रूप में नामित किया गया है, इसके बाद उनकी पत्नी पार्वती, उनके साले मल्लिकार्जुन स्वामी, और एक कथित ज़मीन मालिक देवराज का नाम भी है. आरोप है कि MUDA ने पार्वती की ज़मीन का एक हिस्सा अधिग्रहित किया और इसके बदले में उच्च मूल्य वाले भूखंडों का मुआवजा दिया. विपक्षी पार्टी बीजेपी और कुछ कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि सिद्धारमैया और पार्वती ने इस अवैध मुआवजे का फायदा उठाया है, और यह अनियमितताएं लगभग 4,000 करोड़ रुपये की हैं.
कर्नाटक हाईकोर्ट ने हाल ही में सिद्धारमैया की याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें उन्होंने राज्यपाल द्वारा उनके खिलाफ जांच की मंजूरी को चुनौती दी थी. यह मंजूरी तीन कार्यकर्ताओं की याचिकाओं के आधार पर दी गई थी, जिन्होंने सिद्धारमैया की पत्नी को 14 ज़मीनों के आवंटन में अनियमितताओं का आरोप लगाया था.
मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) एक स्वायत्त संस्था है, जो शहर के विकास के लिए ज़मीनों के अधिग्रहण और आवंटन का कार्य करती है. यह मामला 2004 से जुड़ा है, जब सिद्धारमैया मुख्यमंत्री थे. आरोप है कि इस प्रक्रिया में अनियमितताएं हुई हैं, जिससे सरकारी खजाने को करोड़ों का नुकसान हुआ है.
1992 में, MUDA ने कुछ ज़मीन किसानों से रिहायशी इलाके में विकसित करने के लिए ली थी. 1998 में, MUDA ने कुछ भूमि वापस किसानों को लौटाई, जिससे वह कृषि भूमि बन गई. विवाद तब शुरू हुआ जब 2004 में सिद्धारमैया की पत्नी के भाई ने इस ज़मीन के एक हिस्से को खरीदा. उस समय सिद्धारमैया डिप्टी सीएम थे, और यह ज़मीन फिर से कृषि भूमि से अलग की गई. इस मामले में कई महत्वपूर्ण तथ्य सामने आए हैं और अब जांच चल रही है. First Updated : Friday, 27 September 2024