हाथरस हादसे में फरार बाबा को लेकर सामने आया चौंकाने वाला सच, जानें पूरा मामला
Hathras Stampede: हर तरफ चर्चा का विषय बने सूरजपाल उर्फ नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के कई पुराने किस्से भी सामने आने लगे हैं. ऐसे में आज यानि बुधवार को पुलिस ने बताया कि पूर्व यूपी कांस्टेबल सूरजपाल उर्फ नारायण भोले बाबा, उनकी पत्नी प्रेमवती और चार अन्य लोगों के साथ मिलकर सन 2000 में आगरा में मरी एक किशोरी को जिंदा करने के लिए जादुई शक्तियों के होने का दावा करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था.
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Hathras Stampede: उत्तर प्रदेश के हाथरस में बीते दिन मंगलवार को एक धार्मिक सभा में भगदड़ मचने से 121 लोगों की मौत हो गई है. वहीं कई लोग अभी घायलावस्था में अस्पताल में भर्ती है. हाथरस में जिस सूरजपाल उर्फ नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के सत्संग में भगदड़ से 121 लोगों की मौत हुई, उस बाबा के बारे में अब तक किसी भी तरह की जानकारी नहीं मिल पाई है. वहीं हादसे पर बाबा का बयान जरूर आया है. बाबा ने कहा कि इस हादसे को लेकर काफी दुखी हैं और दावा किया कि जिस भी असामाजिक तत्वों ने भगदड़ मचाई है उन पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
इस बीच चर्चा का विषय बने सूरजपाल उर्फ नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के पुराने कई किस्से भी सामने आने लगे हैं. ऐसे में आज यानि बुधवार को पुलिस ने बताया कि पूर्व यूपी कांस्टेबल सूरजपाल उर्फ नारायण भोले बाबा, उनकी पत्नी प्रेमवती और चार अन्य लोगों के साथ मिलकर सन 2000 में आगरा में मरी एक किशोरी को जिंदा करने के लिए जादुई शक्तियों के होने का दावा करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों ने बताया कि उस समय सूरज पाल आगरा के शाहगंज इलाके के केदार नगर में रह रहा था. इसके बाद शाहगंज थाने में सूरज पाल, उनकी पत्नी और चार अन्य (जिनमें से दो महिलाएं थीं) सहित छह लोगों के खिलाफ IPC की धारा 109 (यदि उकसाया गया कार्य परिणामस्वरूप किया गया हो और उसके लिए सजा का कोई स्पष्ट प्रावधान न हो तो उकसाने की सजा) और औषधि एवं जादुई उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था.
18 मार्च, सन 2000 का है ये मामला?
शाहगंज थाने के स्टेशन हाउस ऑफिसर तेजवीर सिंह ने बुधवार को इंडियन एक्सप्रेस को दिए अपने एक इंटरव्यू में बताया कि यह मामला मार्च 2000 का है, जब 16 वर्षीय एक स्थानीय लड़की की किसी कारणों से मौत हो गई थी. वहीं पुलिस स्टेशन के रिकॉर्ड के अनुसार, मामला 18, मार्च 2000 को दर्ज किया गया था. सिंह ने दावा किया कि आरोपियों ने जबरन शव को ले जाकर श्मशान घाट पर एक जगह रख दिया. लड़की के परिवार के सदस्यों के साथ मौजूद कुछ लोगों ने इस पर आपत्ति जताई और उनमें से एक ने पुलिस को सूचना दी.
सिंह, जिन्हें बाद में पुलिस उपाधीक्षक (police sub-inspector) के पद पर पदोन्नत किया गया और 2019 में पुलिस बल से रिटायर हुए, उन्होंने दावा किया, "जब हम मौके पर पहुंचे, तो सूरज पाल और उसके समर्थकों ने हमसे बहस की. सूरज पाल ने दावा किया कि वह लड़की को फिर से जीवित कर सकता है. इसके बाद उसके समर्थकों ने पुलिस टीम पर पथराव शुरू कर दिया. ऐसे में अतिरिक्त पुलिस कर्मियों को बुलाया गया और हालात को कंट्रोल में लाया गया. हमने सूरज पाल और अन्य लोगों को गिरफ्तार कर लिया."
आगरा के डीसीपी ने क्या कहा?
आगरा के डीसीपी सूरज कुमार राय ने बताया कि पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल कर दी थी. बाद में नए सबूत सामने आने के बाद आगे की जांच की गई. राय ने कहा, "आगे की जांच के दौरान जमा किए गए सबूतों के आधार पर मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की गई थी." वहीं पुलिस स्टेशन के रिकॉर्ड के अनुसार, क्लोजर रिपोर्ट 2 दिसंबर 2000 को दाखिल की गई थी. कासगंज के दलित परिवार से ताल्लुक रखने वाले सूरजपाल ने नौकरी छोड़ने से पहले करीब एक दशक तक पुलिस बल में काम किया था. अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि उन्हें बर्खास्त किया गया था या उन्होंने खुद रिटायरमेंट ले ली थी.