'नींद एक बुनियादी मानवीय ज़रूरत है', रात के समय पूछताछ करने पर हाईकोर्ट ने ED की लगाई फटकार, पढ़ें क्या है मामला
Bombay high court: बॉम्बे हाई कोर्ट ने नींद की मूलभूत मानवीय आवश्यकता पर जोर देते हुए मनी लॉन्ड्रिंग मामले में देर रात तक पूछताछ के लिए ED की फटकार लगाई है.
Bombay high court: बॉम्बे हाई कोर्ट ने कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा एक व्यक्ति से सुबह 3.30 बजे तक पूछताछ करने पर सोमवार को कड़ी निंदा की है और इस बात पर जोर दिया कि सोने का अधिकार एक मौलिक मानवीय आवश्यकता है जिसका सम्मान किया जाना चाहिए.
कोर्ट ने पीएमएलए धारा 50 और मानवाधिकारों पर प्रकाश डालते हुए पूछताछ के समय के लिए परिपत्र जारी करने का निर्देश दिया. हालांकि HC ने गिरफ्तारी की चुनौती को खारिज कर दिया, लेकिन देर रात तक याचिकाकर्ता से लंबी पूछताछ की आलोचना की.
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-डेरे और न्यायमूर्ति मंजूषा देशपांडे की खंडपीठ ने किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य, मानसिक क्षमताओं और संज्ञानात्मक कौशल पर नींद की कमी के हानिकारक प्रभावों पर प्रकाश डाला. उन्होंने ईडी को एक परिपत्र जारी करने का निर्देश दिया, जिसमें समन जारी होने पर पूछताछ के लिए उचित समय निर्दिष्ट किया जाए.
क्या है मामला
दरअसल, यह मामला 64 वर्षीय राम इसरानी द्वारा दायर एक याचिका से संबंधित है, जिसमें ईडी द्वारा उनकी गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए चुनौती देने की मांग की गई थी. इसरानी ने दावा किया कि उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन किया गया था जब उन्हें दिल्ली में सुबह 10:30 बजे हिरासत में लिया गया था और बाद में 7 अगस्त, 2023 को मुंबई ईडी पहुंचने पर सुबह 3 बजे तक पूछताछ के बाद अगले दिन गिरफ्तार कर लिया गया था.
हाईकोर्ट ने कहा रात भर पूछताछ करना ठीक नहीं
अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि एजेंसियों को आरोपी व्यक्तियों की संज्ञानात्मक क्षमताओं को ख़राब होने से बचाने के लिए उचित घंटों के दौरान उनके बयान दर्ज करने चाहिए. मुंबई हाईकोर्ट ने इसरानी के याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि वह याचिकर्ता से रात भर पूछताछ करने को सही नहीं मानते हैं.
HC ने कहा नींद एक बुनियादी मानवीय जरूरत है
याचिकाकर्ता के सहमति तर्क के जवाब में, ईडी के वकील एचएस वेनेगांवकर ने कहा कि किसी व्यक्ति की नींद की कमी पर विचार करते समय सहमति कोई मायने नहीं रखती है, जो एक बुनियादी मानव अधिकार है. HC ने देर रात तक बयान दर्ज करने की प्रथा को अस्वीकार करते हुए कहा कि यह किसी व्यक्ति के मानवाधिकारों का उल्लंघन करता है.