भारत को ग्लोबल साउथ की आवाज करार देते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि ग्लोबल साउथ के देश विश्व में अपने मुद्दों और स्थिति को लेकर भारत पर भरोसा करते हैं. विदेश नीति पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एस जयशंकर ने उन देशों के प्रति भारत के नैतिक कर्तव्य पर जोर दिया जो औपनिवेशिक शासन से उबरने के लिए संघर्ष कर रहे थे. इस दौरान विदेश मंत्री ने मुंबई हमले का जिक्र करते हुए कहा कि मुंबई हमले के बाद संप्रग सरकार ने कोई सैन्य कार्रवाई नहीं की.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को पिछली कांग्रेस नीत यूपीए सरकार को उसके इस 'औचित्य' पर आड़े हाथों लिया कि 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद 'पाकिस्तान पर हमला न करने का फैसला लिया क्योंकि उन्होंने सोचा कि अगर हमला करते हैं तो भारत पर महंगा. जयशंकर ने कहा कि यूपीए सरकार ने भारतीय धरती पर नागरिकों के खिलाफ सबसे घातक हमलों में से एक के बाद "कुछ नहीं करने" का फैसला किया.
एस जयशंकर ने मुंबई हमले को लेकर दावा करते हुए कहा कि, "मुंबई हमले के बाद, पिछली यूपीए सरकार के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार कुछ नहीं करने का फैसला किया. इसका औचित्य यह था कि उन्होंने महसूस किया कि पाकिस्तान पर हमला करने की कीमत पाकिस्तान पर हमला न करने की कीमत से अधिक है. एस जयशंकर ने पिछली यूपीए कार्यकाल का जिक्र करते हुए कहा, ''रक्षात्मक युग'' में आतंकवाद को स्वीकार कर लिया गया.
जयशंकर ने कहा कि भारत के सामने सीमाओं पर कुछ चुनौतियां हैं और उनका बचाव करने की कुंजी केवल सार्वजनिक रूप से पेश आना नहीं है, बल्कि बुनियादी ढांचे का निर्माण करना, सेना का समर्थन करना और एक ऐसी प्रणाली बनाना है जो सीमा पर खतरा होने पर प्रतिक्रिया देगी. भारत को 'ग्लोबल साउथ' (जिसमें लगभग 125 देश शामिल हैं) की आवाज बताते हुए उन्होंने कहा कि ग्लोबल साउथ के देश दुनिया में अपने मुद्दों और पदों को लेकर भारत पर भरोसा करते हैं. First Updated : Wednesday, 24 April 2024