डिप्टी स्पीकर और नीट की लड़ाई में सोनिया गांधी की एंट्री, पीएम मोदी पर किया तीखा हमला

सोनिया गांधी ने दि हिंदू अखबार में एक लेख में में कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी उपदेश तो आम सहमति के देते हैं, लेकिन टकराव को भड़काने का काम करते हैं. उन्होंने कहा है कि संसद के पहले चंद दिनों में ही इसका आभास हो गया है. उन्होंने आगे कहा, "दुखद बात है कि 18वीं लोकसभा के पहले कुछ दिन अच्छे नहीं रहे. कोई भी उम्मीद कि हम कोई बदला हुआ नजरिया देखेंगे, सब बिखर गई है."

JBT Desk
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संसद के पहले सत्र में डिप्टी स्पीकर के पद और नीट मुद्दे पर सरकार और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक जारी है. इस बीच कांग्रेस नेता सोनिया गांधी पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि 'प्रधानमंत्री ऐसे व्यवहार कर रहे हैं मानो कुछ भी नहीं बदला है. वह आम सहमति का उपदेश देते हैं, लेकिन टकराव को महत्व देना जारी रखते हैं.

द हिंदू में छपे एक आर्टिकल में सोनिया गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी अभी भी लोकसभा चुनाव के नतीजों से उबर नहीं पाए हैं, जिसमें एनडीए कमजोर जनादेश के साथ सत्ता में लौटी है.राज्यसभा सांसद ने कहा, "प्रधानमंत्री ऐसे काम कर रहे हैं जैसे कुछ बदला ही नहीं है. वह आम सहमति के मूल्य का उपदेश देते हैं, लेकिन टकराव को महत्व देना जारी रखते हैं."

डिप्टी स्पीकर के पद की लड़ाई जारी

उन्होंने आगे कहा, "दुखद बात है कि 18वीं लोकसभा के पहले कुछ दिन अच्छे नहीं रहे. कोई भी उम्मीद कि हम कोई बदला हुआ नजरिया देखेंगे, सब बिखर  गई है." कांग्रेस संसदीय दल के अध्यक्ष ने कहा कि परंपरा के अनुसार लोकसभा में डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को दिया जाना चाहिए था. उन्होंने कहा, "यह पूरी तरह से सही मांग है. जिसने 17वीं लोकसभा में डिप्टी स्पीकर के पद को नहीं भरा था." एनडीए सरकार के पहले कार्यकाल में तत्कालीन भाजपा सहयोगी एआईएडीएमके के एम थम्बी दुरई डिप्टी स्पीकर थे, लेकिन 2019-24 के बीच यह पद खाली था.

आपातकाल का मुद्दा उठाया

भाजपा द्वारा आपातकाल का मुद्दा उठाकर कांग्रेस पर हमला करने पर सोनिया गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने संविधान पर हमले से ध्यान हटाने के लिए यह मुद्दा उठाया है. यह आश्चर्यजनक है कि इस मुद्दे को लोकसभा अध्यक्ष ने भी उठाया, "जिनका रुख सख्त निष्पक्षता के अलावा किसी भी सार्वजनिक राजनीतिक रुख से मेल नहीं खाता है."

उन्होंने कहा, "यह इतिहास की बात है कि मार्च 1977 में हमारे देश की जनता ने आपातकाल पर स्पष्ट फैसला दिया था, जिसे बिना किसी हिचकिचाहट और स्पष्ट रूप से स्वीकार किया गया. तीन साल से भी कम समय बाद, मार्च 1977 में पराजित हुई पार्टी फिर से सत्ता में लौट आई, और मोदी और उनकी पार्टी को कभी भी इतना बहुमत नहीं मिला, यह भी उस इतिहास का हिस्सा है."

नीट पेपर लीक पर

नीट पेपर लीक मामले पर चुप रहने के लिए प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि इस घोटाले ने हमारे लाखों युवाओं के करियर के साथ खिलवाड़ हुआ है. उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री जो 'परीक्षा पे चर्चा' करते हैं, वे देश भर में कई परिवारों को तबाह करने वाली लीक पर चुप हैं." कांग्रेस सांसद ने इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और विश्वविद्यालयों जैसे शैक्षणिक संस्थानों को पिछले 10 सालों में काफी नुकसान पहुंचा है.

मणिपुर जातीय हिंसा पर

पूर्व कांग्रेस प्रमुख ने मई 2023 में राज्य में जातीय संघर्ष शुरू होने के बाद से संघर्षग्रस्त मणिपुर का दौरा नहीं करने के लिए प्रधानमंत्री पर भी हमला किया. कुकी और मेइती समुदायों के बीच संघर्ष के कारण सैकड़ों लोग मारे गए हैं और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं. गांधी ने लिखा, "इस सबसे संवेदनशील राज्य में सामाजिक सद्भाव बिखर गया है. फिर भी, प्रधानमंत्री को राज्य का दौरा करने या यहां के राजनीतिक नेताओं से मिलने के लिए न तो समय मिला और न ही इच्छा."
 

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29 June 2024, 11:56 AM IST

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