चिमनभाई पटेल : कौन हैं वर्ल्ड बैंक और इंदिरा गांधी को चैलेंज देने वाले ’छोटे सरदार’?
Chimanbhai Patel: चिमनभाई पटेल की चर्चा गुजरात की राजनीति में आज भी होती है। पहली बार वे मुख्यमंत्री बनने के लिए प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से भिड़ गए थे और धमकी दे दी थी.
Chimanbhai Patel: गुजरात के दो बार मुख्यमंत्री रहे चिमनभाई पटेल 17 फरवरी को उनकी पुण्यतिथि पर याद किया जाता है. चिमनभाई पटेल का जन्म 3 जून 1929 को गुजरात के वडोदरा जिले में हुआ था. उन्होंने अपने दूसरे कार्यकाल में नया गुजरात की आधारशिला रखी थी. राज्य के शिक्षा को लेकर चिंता जाहिर की. उन्होंने 1973 से लेकर 1994 के बीच उन्होंने 150 से अधिक शैक्षणिक संस्थान खुलवाए. दूसरे कार्यकाल में चिमनभाई पटेल गुजरात के कोने-कोने तक नर्मदा का पानी पहुंचाना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने नर्मदा प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाया. उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था.
वहीं सामाजिक कार्यकर्ताओं के आंदोलन करने के चलते जब विश्व बैंक ने सरदार सरोवर परियोजना के लिए स्वीकृत 450 करोड़ की धनराशि देने से मना कर दिया, तो चिमनभाई पटेल झुके नहीं. इस दौरान उन्होंने वर्ल्ड बैंक से दो टूक कहा पिछली शर्तों पर अगर कर्ज देना है तो दीजिए, नहीं तो मैं लोगों से धनराशि जमा कर लूंगा. इतनी बड़ी धनराशि उन्होंने लोगों से जुटाकर अपनी ताकत का लोहा मनवा दिया. इसके बाद उन्हें छोटे सरदार की उपाधि मिली.
पहली बार सीएम बनने की कहानी
जून 1973 का दिन था जब गुजरात के चौथे सीएम घनश्याम ओझा का इस्तीफा देना पड़ा. इसके बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर सियासी टकराव बढ़ने लगा. उस दौरान राज्य में 168 सीट थी, चिमनभाई के साथ 70 विधायकों का समर्थन था. लेकिन सरकार बनाने के लिए काफी नहीं था. ऐसे में वो चाहते तो पार्टी तोड़ सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और पार्टी में बने रहने का फैसला किया. ओझा को हटाए जाने के बाद कांग्रेस के विधायक मंडल का नया नेता चुना जाना था. चिमन भाई एक बार फिर से दौड़ में शामिल थे.
ऐसे में चिमनभाई पटेल अपनी दावेदारी पेश करने के लिए इंदिरा गांधी के साथ बॉम्बे का राजभवन पर तकरीबन 20 मिनट तक मुलाकात चली. अंत में चिमनभाई पटेल ने इंदिरा गांधी को कहा, आप यह तय नहीं कर सकती कि गुजरात में विधायक दल का नेता कौन होगा. यह चीज वहां के विधायक ही तय करेंगे. गुजरात में चुपचाप वोटिंग कराई गई. लेकिन वोटों की गिनती दिल्ली हुई. चिमनभाई पटेल ने कांतिलाल घीया को 7 वोटों से हरा दिया. 17 जुलाई 1973 को चिमनभाई पटेल ने गुजरात के चौथे सीएम को तौर शपथ ली.