Explainer: ना राम बंटेंगे ना रहीम बंटेंगे, सियासत का गंदा खेल खेलने वालों तुम अपने कान खोल लो वरना...

इस समय देश में जो हाल चल रहा है वह चिंताजनक है. मुसलमानों पर जो हमले हो रहे हैं वह भय का मौहाल पैद करेंगी और किसी एक धर्म के लोग मठाधीश बनने की कोशिश करेंगे. पर लोग यह नहीं होने देंगे. कबीर, नानक और गुरू रविदास जैसे इस देश में महान संत हुए हैं, जिन्होंने इंसानियत को प्रेम करना का संदेश दिया है। पर कुछ गंदे सियासी लोगों के कारण अब यह संदेश कुड़े के डंप में जाता हुआ दिखाई दे रहा है. हाल ही में जो घटनाएं हुई हैं। इससे देश को बहुत ही ज्यादा नुकसान पहुंचा है.

Lalit Sharma
Edited By: Lalit Sharma

भारत में क्यों इस समय मुस्लमानों पर ही हमले हो रहा हैं। कंटेंगे वह बंटेंगे जैसे नारों के कारण ही माहौल खराब हो रहा है। चंद सियासी लोक अपने हित साधने के लिए गंदी राजनीति कर रहे हैं पर इस गंदी राजनीति का जो नतीजा निकलेगा उससे सभी को अफसोस होगा. भारत में हाल के वर्षों में मुसलमानों के खिलाफ हिंसा और हमलों की घटनाओं में बढ़ोतरी देखी गई है। ये घटनाएं चिंता का विषय बन गई हैं क्योंकि वे समाज में बढ़ते विरोध और धार्मिक भेदभाव का संकेत देती हैं।

सांप्रदायिकता का बढ़ता असर

मुसलमानों पर हमलों की घटनाओं का मुख्य कारण सांप्रदायिकता का बढ़ता असर माना जा रहा है। धार्मिक संगठनों और कट्टरपंथी समूहों द्वारा किए गए भड़काऊ भाषण और प्रचार ने समाज में विभाजन की खाई को और गहरा कर दिया है। अक्सर मुसलमानों को "अन्य" के रूप में पेश किया जाता है, जिससे उनके खिलाफ नफरत की भावना को बल मिलता है।

गौरक्षा के नाम पर हिंसा

गौरक्षा के नाम पर हिंसा एक बड़ा मुद्दा बन चुका है। कथित गौरक्षक समूह मुसलमानों को निशाना बनाकर उनकी हत्या या मारपीट करते हैं। सरकार की ओर से इन मामलों में सख्त कार्रवाई न होने से ऐसे समूहों को हिम्मत मिलती है। कई मामलों में आरोपी खुलेआम घूमते नजर आते हैं।

राजनैतिक लाभ और ध्रुवीकरण

धार्मिक ध्रुवीकरण राजनीतिक दलों के लिए एक हथियार बन गया है। चुनावों के दौरान सांप्रदायिक मुद्दों को उछालकर वोट बैंक की राजनीति की जाती है। इसका नतीजा यह होता है कि समाज में अलगाव बढ़ता है और एक समुदाय विशेष को निशाना बनाया जाता है।

मीडिया की भूमिका

मीडिया का एक हिस्सा भी इस समस्या को बढ़ावा दे रहा है। कई बार बिना सत्यापित खबरों को sensationalize कर दिया जाता है, जिससे मुसलमानों के खिलाफ पूर्वाग्रह और अधिक बढ़ता है।

नफरत भरी सोच का विरोध जरूरी

समाज में बढ़ती नफरत और भेदभाव को रोकने के लिए सरकार और नागरिक समाज को एकजुट होकर काम करने की जरूरत है। शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से सहिष्णुता को बढ़ावा दिया जा सकता है। इसके अलावा, धर्म के नाम पर हिंसा फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।

देश के लोगों का जागना जरूरी 

इस नफरत की सिसायत को अगर नहीं रोका गया तो बंटेगे तो कंटेंग वाली बात ठीक हो सकती है। जो नेता ऐसे नारे देते हैं उनको इस तरह की सियासत नहीं चाहिए. बल्कि वे पूरे समाज के लिए खतरनाक संकेत हैं। जब संविधान सभी धर्मों के सम्मान की बात करता है तो यह सियासी ठेकेदार देश का बेड़ागर्क करने पर क्यों तुले हैं। लोगों को जागना पड़ेगा नहीं तो देश का बंटाधार तय है। 

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25 November 2024, 12:57 PM IST

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