छात्र संगठन ने TISS पर लगाया आरोप, कहा- केंद्र की नीतियों का विरोध करने पर दलित पीएचडी स्कॉलर को निलंबित कर दिया

टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (TISS) ने एक पीएचडी छात्र को राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों" को बढ़ावा देने के आरोप में दो साल के लिए निलंबित कर दिया है. TISS के इस एक्शन को लेकर छात्र संगठन ने गंभीर आरोप लगाते हुए निंदा की है.

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Edited By: JBT Desk

मुंबई के एक पीएचडी स्कॉलर को दिल्ली में एक विरोध मार्च में भाग लेने के एक महीने बाद TISS ने निलंबित कर दिया गया है. TISS के इस कदम को छात्र समूह ने निंदा की और इसे उनकी स्वतंत्रता के खिलाफ हमला बताया है. रिपोर्ट के अनुसार छात्र समूह ने सरकार के खिलाफ विरोध किया था जिस कारण उन्हें निलंबित कर दिया था.

टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (TISS) ने एक पीएचडी छात्र को दो साल के लिए निलंबित किया है. यह निलंबन केंद्र की नीतियों के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शनों में उनकी सक्रिय भागीदारी के रुख को लेकर किया गया है.

छात्र समूह ने टाटा ने संस्था पर लगाया आरोप

प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स फोरम (PSF) ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (TISS) पर गंभीर आरोप लगाया है. रिपोर्ट के मुताबिक, प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स फोरम ने आरोप लगाया है कि मुंबई में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज ने भारतीय जनता पार्टी की सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के लिए एक दलित छात्र और पीएचडी विद्वान रामदास प्रिंसी शिवानंदन को दो साल के लिए निलंबित कर दिया गया है. संस्था के इस फैसले के बाद छात्रों में काफी आक्रोश है.  

TISS ने छात्र को जारी किया कारण बताओ नोटिस

18 अप्रैल को जारी निलंबन आदेश में छात्र रामदास प्रिंसी शिवानंदन को भी TISS के सभी परिसरों से प्रतिबंधित कर दिया गया है था. वहीं 7 मार्च को उन्हें भेजे गए कारण बताओ नोटिस भी भेजा गया था जिसमें अन्य गतिविधियों की सूची के साथ मार्च में उनकी भागीदारी पर सवाल उठाया गया है.  इस नोटिस में कहा गया है कि रामदास ने पीएसएफ-टीआईएसएस के बैनर तले विरोध प्रदर्शन में भाग लेकर संस्थान के नाम का दुरुपयोग किया. नोटिस के अनुसार, चूंकि पीएसएफ संस्थान का मान्यता प्राप्त छात्र निकाय नहीं है, इसलिए रामदास ने नाम का उपयोग करके संस्थान के बारे में गलत धारणा बनाई, जो शिक्षा मंत्रालय के तहत वित्त पोषित है.

क्या है पूरा मामला

दरअसल, इस साल की शुरुआती महीने जनवरी में संसद मार्च का आयोजन राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के खिलाफ 16 छात्र संगठनों के संयुक्त मंच यूनाइटेड स्टूडेंट्स ऑफ इंडिया के बैनर तले "शिक्षा बचाओ, एनईपी को अस्वीकार करो, भारत बचाओ, भाजपा को अस्वीकार करो" नारे के साथ किया गया था. संस्थान ने अपने 7 मार्च के कारण बताओ नोटिस में जनवरी से रामदास के सोशल मीडिया पोस्ट पर भी आपत्ति जताई थी, जिसमें छात्रों से 26 जनवरी को डॉक्यूमेंट्री "राम के नाम" की स्क्रीनिंग में शामिल होने का आह्वान किया गया था और इसे "अपमान का प्रतीक" बताया था.

कौन हा रामदास

दलित समुदाय से पीएचडी विद्वान रामदास पीएसएफ के पूर्व महासचिव हैं और वह वर्तमान में स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) की केंद्रीय कार्यकारी समिति के सदस्य हैं. वह पीएसएफ की छात्र संस्था है. वह एसएफआई महाराष्ट्र राज्य समिति के संयुक्त सचिव भी हैं.

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20 April 2024, 09:19 AM IST

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