Men Suicide Stats: हाल ही में बेंगलुरु के AI इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या ने एक बार फिर से पुरुषों की मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं पर ध्यान आकर्षित किया है. पत्नी और ससुरालवालों की कथित प्रताड़ना से परेशान होकर उन्होंने डेढ़ घंटे का वीडियो और 24 पन्नों का सुसाइड नोट छोड़कर अपनी जान दे दी. यह घटना बताती है कि पुरुषों पर बढ़ते सामाजिक और मानसिक दबाव कितने घातक साबित हो सकते हैं.
पुरुषों की आत्महत्या के आंकड़े चौंकाने वाले
आपको बता दें कि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) और नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट्स के अनुसार, आत्महत्या के मामले में पुरुष महिलाओं से आगे हैं. हर साल विश्वभर में 7 लाख से अधिक लोग आत्महत्या करते हैं, जिनमें से बड़ी संख्या पुरुषों की होती है. भारत में 2021 में 1,64,033 लोगों ने आत्महत्या की, जिनमें से 1,18,989 (73%) पुरुष थे. यह दर्शाता है कि हर पांच मिनट में एक पुरुष आत्महत्या कर रहा है.
कौन-सी उम्र के पुरुष सबसे ज्यादा प्रभावित हैं?
वहीं आपको बता दें कि आत्महत्या करने वालों में 30 से 45 वर्ष की आयु के पुरुष सबसे अधिक हैं. 2021 में इस आयु वर्ग में 5,20,54 आत्महत्याएं हुईं, जिनमें से 78% पुरुष थे. इसके बाद 18 से 30 वर्ष के आयु वर्ग में 5,65,43 आत्महत्याएं हुईं, जिनमें 67% पुरुष थे. 45 से 60 वर्ष के आयु वर्ग में यह आंकड़ा 3,01,63 था, जिसमें 81% पुरुष शामिल थे.
'शादीशुदा पुरुष ज्यादा जोखिम में'
बताते चले कि आंकड़ों के मुताबिक, 2021 में 1,09,749 शादीशुदा लोगों ने आत्महत्या की, जिनमें से 74% पुरुष थे. शादी के बाद बढ़ने वाले सामाजिक और पारिवारिक दबाव आत्महत्या का प्रमुख कारण बनते हैं.
पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना जरूरी
इसके अलावा आपको बता दें कि यह आंकड़े दर्शाते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना कितना जरूरी है. खासकर पुरुष, जो समाज में अपनी भावनाएं व्यक्त करने से अक्सर हिचकते हैं, मानसिक तनाव का सामना करते हुए आत्मघाती कदम उठा लेते हैं.
बहरहाल, पुरुषों की आत्महत्या के पीछे के कारणों को समझना और उन्हें सही समय पर मदद देना जरूरी है. मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देकर और समाज में जागरूकता फैलाकर इस समस्या को कम किया जा सकता है. First Updated : Wednesday, 11 December 2024