सूरज की रोशनी से गंगा की सफाई: वैज्ञानिकों ने खोजा जल प्रदूषण का अनोखा इलाज!

अगर आपको लगता है कि गंगा के प्रदूषण को साफ करना मुश्किल है, तो अब आपको एक नई उम्मीद नजर आएगी। वैज्ञानिकों ने एक ऐसा तरीका ढूंढ निकाला है जिससे बिना बिजली के, केवल सूरज की रोशनी से पानी को शुद्ध किया जा सकता है। यह तकनीक ना सिर्फ पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि औद्योगिक प्रदूषण से नदियों को बचाने का भी कारगर उपाय है। जानिए इस रिसर्च से जुड़ी दिलचस्प बातें और कैसे यह तकनीक गंगा की सफाई में मदद कर सकती है!

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Sunlight Powered: आज के समय में गंगा समेत अन्य नदियां गंभीर प्रदूषण का शिकार हो रही हैं, और इसके लिए मुख्य कारण औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला दूषित पानी है। हालांकि, इस समस्या का समाधान खोजने के लिए कई संस्थाएं काम कर रही हैं, लेकिन अब वैज्ञानिकों ने इसका एक अनोखा हल खोज लिया है। यह शोध चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग में किया गया है, जहां पर सूरज की रोशनी का इस्तेमाल कर जल शुद्धिकरण की नई तकनीक विकसित की गई है।

सूरज की रोशनी से जल शुद्धि की तकनीक

इस शोध को लेकर प्रोफेसर संजीव कुमार शर्मा ने बताया कि उनकी टीम ने एक विशेष नैनो मैटेरियल से बनी झिल्ली विकसित की है, जो बिना बिजली के प्रदूषित जल से हानिकारक तत्वों को बाहर निकाल सकेगी। इस तकनीक का सबसे खास पहलू यह है कि इसे सौर ऊर्जा पर आधारित किया गया है, यानी सूरज की रोशनी से यह काम करेगा। शोध के अनुसार, इस प्रक्रिया में सीटीसी नैनोकंपोजिट और सेरियम डाई-ऑक्साइड जैसे तत्वों का उपयोग किया गया है, जो जल को शुद्ध करने में सहायक होते हैं।

कैसे काम करती है यह तकनीक?

इस नैनोझिल्ली में लगे तत्व, जैसे सेरियम डाई-ऑक्साइड और टाइटेनियम डाइ-ऑक्साइड, सूर्य की रोशनी में रासायनिक प्रतिक्रिया उत्पन्न करते हैं, जिससे जल में मौजूद कार्बनिक प्रदूषक पदार्थ ऑक्साइड या ठोस रूप में बदल जाते हैं। इसके साथ ही यह झिल्ली जल में मौजूद हानिकारक रसायनों और प्रदूषकों को नष्ट कर देती है। इस प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य नदियों के जल को प्राकृतिक तरीके से शुद्ध करना है, जिससे प्रदूषण का स्तर घटे और जल का उपयोग सुरक्षित हो सके।

इतिहास और भविष्य

प्रोफेसर शर्मा ने बताया कि यह शोध 2014 से शुरू हुआ था और अब तक इसके शानदार परिणाम सामने आए हैं। विश्वविद्यालय ने इस शोध के परिणामों को पेटेंट भी करवा लिया है, और अब इसे बड़े पैमाने पर लागू करने के लिए काम किया जा रहा है। उनका मानना है कि यह तकनीक औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले प्रदूषित जल को भी प्रभावी तरीके से शुद्ध करने में सहायक साबित होगी, बिना पर्यावरण को किसी भी प्रकार का नुकसान पहुँचाए।

समाज के लिए एक बड़ा कदम

यह शोध न केवल जल शुद्धिकरण के लिए एक प्रभावी उपाय है, बल्कि यह पूरे देश के लिए एक बड़ी उम्मीद बनकर उभरा है। खासकर गंगा जैसे पवित्र जल स्रोत को प्रदूषण से बचाने के लिए यह एक महत्त्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में इस तरह के शोध लगातार किए जाते हैं, जो समाज की समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करते हैं।

सूरज की रोशनी से जल को शुद्ध करने की इस नयी तकनीक ने साबित कर दिया है कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के जरिए हम पर्यावरण से जुड़ी समस्याओं का समाधान ढूंढ सकते हैं। आने वाले समय में यह तकनीक गंगा समेत अन्य नदियों के जल को साफ और सुरक्षित बनाने में सहायक साबित हो सकती है। First Updated : Saturday, 04 January 2025