Supreme Court: 'कब तक मिलेगा जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा', केंद्र सरकार से पूछा सुप्रीम कोर्ट
Supreme Court: जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार पर बड़े सवाल उठाए. उन्होंने केंद्र से पूछा है कि सरकार कब तक जम्मू कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करेगी.
Supreme Court: जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के 12वें दिन सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार पर बड़े सवाल उठाए. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने पूछा कि आखिर किस तरह अनुच्छेद-367 में संशोधन कर जम्मू-कश्मीर का स्पेशल स्टेटस हटाया जा सकता है, क्या जम्मू-कश्मीर राज्य की सहमति जरूरी नहीं थी?. याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा है कि सरकार कब तक जम्मू कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करेगी. वहीं कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह भी मांग की है कि वह समय सीमा और रोड मैप बताने का काम करें.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा रोड मैप
वहीं सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने पीठ को बताया कि जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाने का फैसला स्थायी नहीं था. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जब हालात सामान्य हो जाएंगे तो जम्मू कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल कर दिया जाएगा. उन्होंने आगे कहा कि वह 31 अगस्त को इस पर विस्तृत जानकारी देंगे. मेहता ने ये भी बताया कि अभी लद्दाख का केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा जारी रहेगा. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र को साफ करना चाहिए कि जम्मू कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की क्या समय सीमा और रोडमैप है.
याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र बहाल करना जरूरी है. कोर्ट ने ये भी कहा कि लोकतंत्र महत्वपूर्ण है और अनंत काल के लिए चुनावी लोकतंत्र की अनुपस्थिति की इजाजत नहीं दी जा सकती है. हालांकि राष्ट्रीय सुरक्षा को देखते हुए सरकार राज्य का पुनर्गठन कर सकती है.
अनुच्छेद 35ए को पीठ ने बताया लोगों के अधिकारों को हनन करने वाला
जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर पिछले 12 दिनों से पांच जजों की संविधान पीठ सुनवाई कर रही है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 28 अगस्त को इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अनुच्छेद 35ए को नागरिक अधिकारों का हनन करने वाला बताया था.
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 2019 में हुए पुलवामा अटैक की घटना के बाद ही केंद्र को जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने और उसे भारतीय गणराज्य में शामिल करने का फैसला लेना पड़ा